इजरायल ने बना रखा है ‘अभेद्य किला’
आयरन डोम इनमें से एक हिस्सा है, जो छोटी दूरी के रॉकेट और तोप के गोलों को रोकता है। आयरन डोम में रडार, कमांड और कंट्रोल सिस्टम और इंटरसेप्टर मिसाइलें शामिल हैं। रडार दुश्मन के रॉकेट का पता लगाता है, कमांड सिस्टम तय करता है कि पहले किस खतरे को निशाना बनाना है और फिर इंटरसेप्टर उस रॉकेट को हवा में तबाह कर देता है।
ईरानी एयर डिफेंस सिस्टम में कितना दम?
हाल के हमलों में किन मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ, ये साफ नहीं है, लेकिन ईरान के पास फतह-1 और इमाद जैसी मिसाइलें मौजूद हैं। बैलिस्टिक मिसाइलों का मुकाबला करना बहुत मुश्किल है क्योंकि ये बेहद तेजी से आती हैं। इसलिए डिफेंस सिस्टम को जवाब देने का वक़्त बहुत कम मिलता है। ऐसे में अगर कोई मिसाइल रक्षा तंत्र को चकमा दे दे, तो भारी नुकसान हो सकता है।
ईरान के पास भी कुछ एयर डिफेंस सिस्टम हैं। मसलन रूस का बना हुआ एस-300 सिस्टम भी ईरान की सरहदों को सुरक्षित रखता है। लेकिन ये ज्यादातर छोटी दूरी की मिसाइलों के खिलाफ ही कारगर साबित होता हैं। इजरायल ईरान की रक्षा व्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है, जिससे ये साफ नहीं है कि ईरान की कितनी एयर डिफेंस सिस्टम अभी काम कर रही हैं। हालांकि ईरान ऐसी तकनीक भी बना रहा है, जिसमें मिसाइलें उड़ान के दौरान अपने निशाने को बेहतर तरीके से ढूंढ सकें।
इजरायली एयर डिफेंस तो मजबूत लेकिन ये दिक्कत बनेगी सिरदर्द
इजरायल की रक्षा व्यवस्था अभी पूरी तरह मजबूत है, लेकिन जैसे-जैसे हमले बढ़ेंगे, उसके इंटरसेप्टर मिसाइलों का जखीरा कम हो सकता है। हर हमलावर मिसाइल को रोकने के लिए कई इंटरसेप्टर मिसाइलें दागनी पड़ती हैं ताकि नुकसान का खतरा कम हो। कुछ ख़बरों के मुताबिक, ईरान ने अपने 3,000 बैलिस्टिक मिसाइलों में से लगभग 1,000 दागी हैं, लेकिन उसके पास अभी भी बड़ा जखीरा बाकी है।। इसके साथ ही, ईरान नई मिसाइलें बनाने की ताकत रखता है।