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भभुआ
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना भारत माला परियोजना के तहत वाराणसी-रांची-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे के निर्माण को लेकर जिले में चिह्नित एवं अधिग्रहित भूमि पर निर्माण कार्य और मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया तेजी से जारी है।
इसी क्रम में प्रशासन ने एक अहम निर्णय लेते हुए अधिग्रहित भूमि पर आगामी धान की फसल न लगाने का निर्देश जारी किया है। ताकि निर्माण कार्य निर्वाध रूप से पूर्ण किया जा सके और रैयतों को किसी तरह का आर्थिक नुकसान न उठाना पड़े।
जिला भू-अर्जन पदाधिकारी के अनुसार यह देखा गया है कि कुछ क्षेत्रों में रैयत आगामी धान की फसल की तैयारी कर रहे हैं। जबकि वह भूमि भारतमाला परियोजना के लिए अधिग्रहित की जा चुकी है और उस पर कार्य प्रारंभ भी हो चुका है।
यदि इन भूमि पर फसल लगाई जाती है तो न केवल निर्माण प्रक्रिया बाधित होगी, बल्कि फसल लगाने के दौरान रैयतों को भी फसल हानि एवं मुआवजा प्रक्रिया में उलझन का सामना करना पड़ सकता है।
इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए संबंधित एजेंसियों और जिला प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि अधिग्रहित भूमि पर खेती कार्य, विशेषकर धान की रोपनी न की जाए।
जिला भू-अर्जन पदाधिकारी द्वारा इस विषय में जिला कृषि पदाधिकारी, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी एवं सभी संबंधित अंचलाधिकारियों को पत्र भेजते हुए यह निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने स्तर से रैयतों को जागरूक करें।
पत्र में कही गई ये बात
पत्र में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि संबंधित विभागों के अधिकारी क्षेत्र भ्रमण कर किसानों को व्यक्तिगत एवं सामूहिक रूप से समझाएं कि परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि पर खेती करने से उनका ही नुकसान होगा।
कृषि विभाग एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को समन्वय में रहकर जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। यह अभियान विशेष रूप से उन राजस्व ग्रामों में चलाया जाएगा जो एक्सप्रेसवे के एलाइनमेंट में आते हैं।