नई दिल्ली। नेपाल के माउंट एवरेस्ट के नजदीक खतरनाक सांपों की मौजूदगी ने विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है।
‘द काठमांडू पोस्ट’ की खबर के मुताबिक, डेढ़ महीने के अंदर 10 जहरीले सांप पकड़े गए हैं। इनमें नौ किंग कोबरा और एक मोनोकल्ड कोबरा शामिल हैं। ये सांप डकशिंकाली नगरपालिका के चार अलग-अलग इलाकों गोपालेश्वर, भंज्यांग, सोखोल और फुलचौक से पकड़े गए।
किंग कोबरा दुनिया का सबसे ज्यादा जहरीले सांपों में से एक है। कोबरा का एक दंश 20 इंसानों या एक हाथी को मारने के लिए काफी है। इन सांपों का माउंट एवरेस्ट जैसे ठंडे इलाके में मिलना चिंता का सबब है।
जंगल में किंग कोबरा के अंडे भी मिले
किंग कोबरा और मोनोकल्ड कोबरा आमतौर पर नेपाल के दक्षिणी तराई क्षेत्र और उत्तरी भारत में पाए जाते हैं। मगर बढ़ते तापमान के कारण अब ये सांप पहाड़ी और ठंडे इलाकों में भी नजर आ रहे हैं।
एनडीटीवी के मुताबिक, मिथिला वाइल्डलाइफ ट्रस्ट, जनकपुर के सांप बचाव प्रशिक्षक सुबोध आचार्य ने कहा, “हो सकता है कि ये सांप लकड़ी और घास के साथ ट्रकों में इस घाटी में आए हों, मगर अब इन्होंने यहां अपना बसेरा बना लिया है।” उन्होंने लोगों से जंगल में सावधानी बरतने की अपील की है।
जहरीला किंग कोबरा है सबसे कमजोर प्रजाति
विशेषज्ञों मानते हैं कि सांपों का ठंडे इलाकों में पहुंचना जलवायु परिवर्तन की निशानी हो सकता है। नेपाल में पिछले कुछ सालों में जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में भारी बदलाव देखे गए हैं। यहां का अधिकतम तापमान हर साल 0.05 डिग्री सेल्सियस की दर से बढ़ रहा है।
किंग कोबरा को नेपाल के नेशनल रेड डेटा बुक और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) रेड लिस्ट में ‘कमज़ोर’ प्रजाति के तौर पर दर्ज किया गया है।
इन सांपों के लिए सबसे बड़ा खतरा उनके बसेरे का नष्ट होना, इंसानों से टकराव और सांपों के काटने की घटनाएं हैं। मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ की मार्च 2022 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तराई ज़िलों में गर्मियों में सांपों के काटने और उससे होने वाली मौतें आम हैं। हर साल करीब 2,700 लोग, खासकर बच्चे और महिलाएं, सांपों के काटने से अपनी जान गंवाते हैं।
क्यों आगाह कर रहे हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर तापमान बढ़ने का सिलसिला यूं ही जारी रहा, तो आने वाले वक्त में और भी गंभीर समस्याएं सामने आ सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और लोगों को जागरूक किया जाए।