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नई दिल्ली
एलजी वीके सक्सेना ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में बुनियादी ढांचे के विकास में आ रही अंतिम बाधा दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। नंद नगरी-गगन सिनेमा जंक्शन पर फ्लाइओवर परियोजना के लिए 27 पेड़ों के प्रत्यारोपण/काटने के लिए 2.16 हेक्टेयर क्षेत्र के छूट को मंजूरी दे दी है।
पर्यावरण विभाग, मुख्य सचिव, पर्यावरण मंत्री और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा पहले से ही मंजूर प्रस्ताव से इलाके में ट्रैफिक जाम और आवागमन की लंबे समय से जारी समस्या खत्म हो जाएगी। इसमें 27 पेड़ों को हटाना शामिल है, जिसके कारण निर्धारित मानदंडों के अनुसार प्रतिपूरक प्रत्यारोपण और वनीकरण किया जाएगा।
यह निर्णय दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम (डीपीटीए) 1994 की धारा 29 के तहत और वन एवं वन्यजीव विभाग द्वारा प्रस्तुत एक प्रस्ताव के बाद लिया गया है। इसकी शुरुआत लोक निर्माण विभाग के औपचारिक अनुरोध के बाद हुई थी, जिसने मंगल पांडे मार्ग पर फ्लाइओवर के निर्माण के लिए आवश्यक माने जाने वाले 27 पेड़ों के प्रत्यारोपण व कटाई की अनुमति मांगी थी।
फ्लाइओवर परियोजना में कई महत्वपूर्ण विकास शामिल हैं, जिसमें एलिवेटेड कॉरिडोर, फुटपाथ, व्यापक सड़क कार्य, जल निकासी व्यवस्था और वर्षा जल संचयन सुविधाओं का निर्माण भी शामिल है। इन सभी को इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण माडल के तहत क्रियान्वित किया जाएगा। इससे परियोजना के दौरान उसकी दक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
सुप्रीम कोर्ट के 19 दिसंबर 2024 के आदेश के अनुपालन में, इस बात पर जोर दिया गया है कि धारा 29 के तहत शक्तियों के किसी भी प्रयोग को केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) द्वारा गहन समीक्षा और अनुमोदन जरूरी होगा।
सीईसी ने धारा 29 के तहत छूट के लिए मसौदा अधिसूचना प्रारूप को पहले ही मंजूरी दे दी है, जिसे मौलाना आजाद रोड, नई दिल्ली में कामन सेंट्रल सेक्रेटेरियट बिल्डिंग के निर्माण से प्रभावित 476 पेड़ों के प्रत्यारोपण और कटाई से संबंधित एक मामले में विधि विभाग द्वारा ध्यान से जांचा गया था।
बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यानपूर्वक विचार करने के मामले में यह एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करती है। नंद नगरी और गगन सिनेमा पर फ्लाइओवर परियोजना की मंजूरी, दिल्ली के बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाती है।
इसका उद्देश्य यातायात की भीड़ को कम करना और क्षेत्र में कनेक्टिविटी सुधारना है। साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि ऐसी परियोजनाएं पर्यावरण को ध्यान में रखते एवं इसका संरक्षण करते हुए पूरी की जाएं, तथा शहर की आबादी की बढ़ती जरूरतों को भी पूरा किया जा सके।