2.0kViews
1491
Shares
पटना
जीवनशैली व खानपान में बदलाव, मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन), गैर संक्रामक रोगों के कारण देश व प्रदेश में किडनी रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। जागरूकता के अभाव में समय पर जांच नहीं होने से देश में प्रति वर्ष 2.25 लाख नए मरीजों को डायलिसिस की जरूरत पड़ रही है। वहीं, प्रदेश में डायलिसिस कराने वाले रोगियों की संख्या प्रतिवर्ष करीब 22 हजार बढ़ जाती है।
रोगियों के लिए पीएमएनडीपी
डायलिसिस की जरूरत वाले किडनी रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम (पीएमएनडीपी) शुरू किया गया। रोगियों की बढ़ती संख्या के अनुपात में सरकारी व निजी अस्पतालों में मिलाकर पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में 275 व निजी में 670 संचालित हैं। सरकारी में 13,436 तो निजी में 34 हजार 880 सत्र प्रतिमाह संचालित किए जा रहे हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट
इंडियन सोसायटी आफ नेफ्रोलाजी की राष्ट्रीय लाइजन कमेटी के सदस्य पद्मश्री अलंकृत डा. हेमंत कुमार ने प्रदेश में पहली बार हेमोडायलिसिस कार्यक्रम की स्थिति पर अनुमानित मासिक प्रगति रिपोर्ट तैयार की है। इसे प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा गया है।
तैयार कर रही राज्यवार रजिस्ट्री रिपोर्ट
इंडियन नेफ्रोलाजी सोसायटी ने देश भर में चलाए जा रहे डायलिसिस कार्यक्रम की गुणवत्ता, सुधार की गुंजाइश, बहुत से मरीज छूट तो नहीं रहें इसके लिए राज्यवार रजिस्ट्री रिपोर्ट तैयार कर रही है। इसके लिए मेरे समेत चार सदस्यीय समिति बनाई गई है, जिसमें एम्स दिल्ली के विभागाध्यक्ष जो हाल में सेवानिवृत्त हुए डा. संजय अग्रवाल भी हैं।
कमजोर जिले
अरवल, लखीसराय, शेखपुरा, सुपौल जहां निजी-सरकारी डायलिसिस सुविधा नगण्य या बिल्कुल नहीं है। जमुई में केवल 1 निजी मशीन है जो प्रति माह 30 सेशन डायलिसिस करती है।
- जिलेवार डायलिसिस में असमानता के निहितार्थ
- -कम सेवा वाले जिलों में मशीनों की संख्या बढ़ाई जाए।
- -सरकारी केंद्रों की दक्षता बढ़ाकर गैर-सरकारी पर निर्भरता घटाई जाए।
- -ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में डायलिसिस सुविधाएं सुलभ बनाई जाएं।
- – सरकारी संस्थानों में डाक्टरों, नर्सों व तकनीशियन की कमी। न्यू गार्डिनर में पांच मशीनें लेकिन डाक्टर एक भी नहीं। गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल में डायलिसिस सुविधा नहीं है। आइजीआइएमएस में सिर्फ 12 मशीन।
- – कई बार मरीजों से आवश्यक दवाएं ढाई से तीन हजार की मंगवाई जाती हैं।
- – डायलिसिस सत्र की अत्यधिक संख्या दर्शाती है कि सरकारी व निजी अस्पतालों में रोगियों को समय पर उपचार प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है।
- -डायलिसिस प्रक्रियाओं की निगरानी एवं गुणवत्ता नियंत्रण में सुधार की आवश्यकता है।