कमजोर जिले

अरवल, लखीसराय, शेखपुरा, सुपौल जहां निजी-सरकारी डायलिसिस सुविधा नगण्य या बिल्कुल नहीं है। जमुई में केवल 1 निजी मशीन है जो प्रति माह 30 सेशन डायलिसिस करती है।

  • जिलेवार डायलिसिस में असमानता के निहितार्थ
  • -कम सेवा वाले जिलों में मशीनों की संख्या बढ़ाई जाए।
  • -सरकारी केंद्रों की दक्षता बढ़ाकर गैर-सरकारी पर निर्भरता घटाई जाए।
  • -ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में डायलिसिस सुविधाएं सुलभ बनाई जाएं।
  • – सरकारी संस्थानों में डाक्टरों, नर्सों व तकनीशियन की कमी। न्यू गार्डिनर में पांच मशीनें लेकिन डाक्टर एक भी नहीं। गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल में डायलिसिस सुविधा नहीं है। आइजीआइएमएस में सिर्फ 12 मशीन।
  • – कई बार मरीजों से आवश्यक दवाएं ढाई से तीन हजार की मंगवाई जाती हैं।
  • – डायलिसिस सत्र की अत्यधिक संख्या दर्शाती है कि सरकारी व निजी अस्पतालों में रोगियों को समय पर उपचार प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है।
  • -डायलिसिस प्रक्रियाओं की निगरानी एवं गुणवत्ता नियंत्रण में सुधार की आवश्यकता है।