देवी के तौर पर ‘वाराणसी देवी’ की मूर्ति स्थापित
वाराणसी में वरुणा और असि नदियों के नाम होने का मत प्रचलित है। वहीं, गंगा तट स्थित त्रिलोचन घाट स्थित मंदिर में शक्तिस्वरूपा की मान्यता के तौर पर शहर की देवी के तौर पर ‘वाराणसी देवी’ की मूर्ति स्थापित है।
शिव के तीसरे नेत्र को समर्पित
गायघाट के पास ही प्राचीन त्रिलोचन मंदिर मौजूद है। काशीखंड में इसे शिव के तीसरे नेत्र को समर्पित माना गया है। इस तट पर गंगा के साथ अदृश्य रूप में नर्मदा एवं पिप्पिला नदियों का संगम भी माना गया है। तीन नदियों के संगम की मान्यता होने से घाट का नाम भी त्रिलोचन घाट है।
घाट पर मौजूद त्रिलोचन मंदिर को औरंगजेब के काल में नष्ट करने की भी बात पुरनिए बताते हैं। बाद में इसका निर्माण पूना के नाथूबाला पेशवा द्वारा 18 वीं शताब्दी और वर्ष 1965 में रामादेवी द्वारा पुनर्निर्माण की जानकारी स्थानीय लोग देते हैं। मंदिर का पौराणिक प्रमाण भी धार्मिक ग्रंथों में मौजूद है।