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नोएडा
मास्टर प्लान सड़क नंबर एक पर यातायात जाम से शहरवासियों को राहत देने के लिए सेक्टर-3 से सेक्टर-57 चौराहे तक 5.5 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड रोड बनाया जाएगा। निर्माण पर करीब 700 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
परियोजना को धरातल पर उतरने के लिए रूट की फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने और डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने के लिए फाइल आइआइटी रुड़की भेजी गई है, क्योंकि परियोजना पर प्रत्येक कार्य करने लिए नोएडा प्राधिकरण ने आइआइटी रुड़की को सलाहकार कंपनी के रूप में चयनित किया है।
इससे पहले प्रस्तावित एलिवेटेड रोड की प्राथमिक फिजिबिलिटी रिपोर्ट ओरायन कंपनी से ली गई है, जिसमें एलिवेटेड रोड को डीएनडी से सेक्टर-57 तक नहीं, बल्कि सेक्टर-3 की तरफ रजनीगंधा अंडरपास से करीब 100 मीटर आगे से बनाने का निर्णय लिया गया है।
5 रेड लाइट से गुजरना पड़ता है
इसमें वजह सामने आयी कि रजनीगंधा अंडरपास और डीएससी रोड पर बने मेट्रो लाइन के ऊपर से एलिवेटेड नहीं गुजारा जा सकता है, स्ट्रक्चर में खामी आ सकती है। इसी फिजिबिलिटी रिपोर्ट को आइआइटी रुड़की भेजा गया है। वर्तमान में औद्योगिक सेक्टर फेज वन व फेज थ्री के बीच आने जाने वालों को रजनीगंधा, सेक्टर-10, 21 का चौक, चौड़ा मोड़, सेक्टर-12, 12 तिराहा, सेक्टर-57 तक पांच रेड लाइट से गुजरना पड़ता है।
इस कारण जगह-जगह यातायात जाम मिलता है, वाहन रेंगते है, जिससे 30 मिनट का लग जाता है। एलिवेटेड रोड के निर्माण से पांच रेडलाइट पर बिना रुके 10 मिनट में लोग आसानी से आ जा सकेंगे। दक्षिण दिल्ली से डीएनडी के रास्ते सीधे सेक्टर-57 रेड लाइट पार कर पहुंच सकेंगे। इससे यातायात जाम की समस्या शहर में कम होगी।
वहीं, वर्क सर्किल एक को परियोजना की सैद्धांतिक स्वीकृति प्राधिकरण सीईओ से पहले ही मिल चुकी है। ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि किसी निर्माण परियोजना के लिए कंसलटेंट कंपनी के रूप में आइआइटी चयन किया गया है।
बताया गया कि अभी तक आइआइटी सिर्फ प्राधिकरण की परियोजनाओं की बजट फाइल व ड्राइंग डिजाइन का परीक्षण करता रहा है लेकिन पहली परियोजना पर पूरा काम करने जा रहा है। एलिवेटेड रोड के लिए फिजिबिलिटी रिपोर्ट, बजट, ड्राइंग डिजाइन के साथ डीपीआर तैयार करेगा।