वर्ष 1971 के युद्ध के समय तीन दिसंबर की शाम को पाकिस्तान के विमानों ने खेरिया एयरपोर्ट के रनवे के पास और कीठम पर बम बरसाए थे। दुश्मन दोबारा यह हरकत नहीं कर सके, इसके लिए ताजमहल को ढकने के आदेश किए गए थे। सफेद संगमरमर से बना ताजमहल ऊंचाई से साफ नजर आता है। ताजमहल को ढकने का निर्णय लिया गया था।
चार दिसंबर को आया था आदेश
चार से 18 दिसम्बर तक बंद रहा था ताजमहल
एएसआइ के कर्मचारी कम होने पर मजदूर बुलाकर दिन-रात इस काम को अंजाम दिया गया था। उस समय इस काम पर 20 हजार 500 रुपये व्यय हुए थे। ताजमहल चार से 18 दिसंबर तक बंद रहा था।
ताजमहल पर बनाया था कोमोफ्लेम
ताजमहल के दक्षिणी गेट निवासी बिजली विभाग से सेवानिवृत्त 77वर्षीय सूरज प्रकाश दत्ता बताते हैं कि वर्ष 1971 के युद्ध के समय वह सिविल डिफेंस में वार्डन थे। उस समय ताजमहल पर कोमोफ्लेम (छलावरण) बनाया गया था। ताजमहल को पूरी तरह ढक दिया गया था। उस समय आज की तरह ताजमहल पर सुरक्षा नहीं थी। शाम ढलने पर सायरन बजता था और ब्लैकआउट होता था। ब्लैकआउट होते ही अंधेरा छा जाता था।