इस अभियान का उद्देश्य राज्य के जल स्रोतों, नदियों, तालाबों, झीलों, पुराने कुओं, बावड़ियों और जल-धाराओं को फिर से जीवित करना है। जीवित करने के बाद इन स्रोतों की देखरेख और संरक्षण किया जाएगा। सरकार ने इन सभी स्रोतों को जीवित करने, सफाई, सीमांकन करने के लिए जनभागीदारी का भी सहारा लिया है। लोग बड़ी संख्या में श्रमदान कर पानी को बचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। जिला प्रशासन विशेष रूप से नदियों के किनारे देशी प्रजातियों के पौधे रोप रहा है। इससे जमीन के नीचे जल-स्तर बढ़ रहा है और मिट्टी को नुकसान से बचाया जा रहा है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रूफ वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य कर दिया गया है। स्कूल और कॉलेजों में जल-संरक्षण पर जन-जागरण अभियान, रैलियां, निबंध प्रतियोगिताएं, जल संवाद और ‘जल प्रहरी’ जैसी गतिविधियों को संचालित किया जा रहा है। सरकार पानी को बचाने के लिए ड्रोन से सर्वेक्षण, वैज्ञानिक तरीके से जलग्रहण क्षेत्र की मैपिंग, भू-जल पुनर्भरण तकनीकों का उपयोग कर रही है। 

दिखने लगे प्रभावी परिणाम

प्रदेश की मोहन सरकार जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत जल दीप यात्रा, जल संकल्प कार्यक्रम, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित कर रही है। इनके माध्यम से लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है और उनके बीच जल संरक्षण का संदेश भी पहुंचाया जा रहा है। अभियान के एक महीने के अंदर ही हजारों जल स्रोत पुनर्जीवित होने लगे हैं। भविष्य में बारिश के मौसम में इसके और ज्यादा प्रभावी परिणाम दिखने लगेंगे। भूजल स्तर में सुधार होगा, हरियाली बढ़ेगी, मिट्टी में नमी आएगी तो पूरे प्रदेश में जल संकट दूर होता दिखाई देगा। इसके अलावा इस अभियान ने समाज की मनोवृत्ति पर भी असर डाला है। बता दें, इस अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार ने डिजिटल मॉनिटरिंग और मूल्यांकन प्रणाली की व्यवस्था की है। सभी गतिविधियों की जीआईएस ट्रैकिंग और इंपैक्ट वैल्युएशन किया जा रहा है।