व्यापार में बनेगा संतुलन
जेमीसन ग्रीर का कहना है कि भारत के साथ व्यापार संबंधों में पारस्परिकता का गंभीर अभाव है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते की मदद से अमेरिकी वस्तुओं के लिए नए बाजार खुलेंगे और अमेरिकी श्रमिकों को होने वाले नुकसानों से बचा जा सकेगा। इससे दोनों देशों के व्यापार में संतुलन स्थापित होगा।
जेडी वेंस ने पीएम मोदी को सराहा
बता दें कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत आए हैं। सोमवार को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की। इस मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए उन्होंने लिखा कि आज की शाम प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात सम्मान की बात है। वो महान नेता हैं और वो मेरे परिवार के प्रति अविश्वसनीय रूप से दयालु थे। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में हम दोनों देशों की दोस्ती को मजबूत के लिए काम करेंगे।
ग्रीर ने जताई खुशी
क्या है द्विपक्षीय व्यापार समझौता?
द्विपक्षीय व्यापार समझौता दो देशों के बीच होने वाले आयात और निर्यात पर की जाने वाली एक प्रकार की डील होती है। इसमें तीसरी पार्टी की कोई जगह नहीं होती। इस समझौते का मकसद व्यापार और निवेश को प्रोत्साहित करना है, जिसके लिए दोनों देश टैरिफ, आयात कोटा, निर्यात प्रतिबंध और अन्य व्यापार बाधाओं को कम करने या खत्म करने पर जोर देते हैं।
नई व्यापार नीति से क्या होगा?
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार वार्ता ऐसे समय शुरू हुई, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत कई देशों पर पारस्परिक शुल्क का एलान कर दिया। इसी कड़ी में भारत पर भी 2 अप्रैल 2025 से 26% का टैरिफ लगाया जाना था, लेकिन ट्रंप ने अपने फैसले को 90 दिनों के लिए टाल दिया।
भारत-अमेरिका का ट्रेड
यूएसटीआर भारत और अमेरिका के बीच मौजूद व्यापार असंतुलन (Trade Imbalance) को खत्म करने की कोशिश कर रहा है। 2024 में भारत-अमेरिका ट्रेड में अमेरिका को 45.7 अरब डॉलर का व्यापारिक घाटा (Trade Deficit) हुआ था, जो 2023 की तुलना में 5.1% अधिक था। इन्हीं समस्याओं से निपटने के लिए नई द्विपक्षीय व्यापार नीति तैयार की जा रही है।