हिंदी को अनिवार्य बनाने पर विवाद
फडणवीस ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “हमें यह समझना होगा कि मराठी के स्थान पर हिंदी को अनिवार्य नहीं किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में तीन भाषाओं को सीखने का अवसर मिला है। भाषाएं सीखना महत्वपूर्ण है। नियम कहता है कि इन तीन भाषाओं में से दो भाषाएं भारतीय होनी चाहिए। मराठी पहले ही अनिवार्य है। आप हिंदी, तमिल, मलयालम या गुजराती के अलावा कोई और भाषा नहीं ले सकते। हिंदी भाषा के शिक्षक उपलब्ध हैं। अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं।”
भाषा समिति की आपत्ति और मांग
पत्र में कहा गया है, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति में किसी भाषा को अनिवार्य नहीं किया गया है। एनईपी कहती है कि शिक्षा मातृभाषा में दी जानी चाहिए। इसलिए हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाना ठीक नहीं है।”
तमिलनाडु में भी हिंदी थोपने का आरोप
तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने रविवार को आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाले राजग का त्रि-भाषा नीति, राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के पीछे का सोच तमिलनाडु में किसी तरह हिंदी थोपना है।