2.8kViews
1332
Shares
दिल्ली
अपराध की राह पर चलने से रोकने वाली मां को ही शनिवार देर रात बेटे ने गोली मार दी। गनीमत रही कि गोली पेट में लगी और उनकी जान बच गई। ऑपरेशन के बाद पेट से गोली निकाल दी गई है। उनका द्वारका सेक्टर दस के अस्पताल में इलाज चल रहा है।
महिला की पहचान रात धूल सिरस गांव की लक्ष्मी देवी व आरोपित बेटे की पहचान अभिषेक के रूप में हुई है। पुलिस ने आरोपित अभिषेक को गिरफ्तार कर उसके पास से देसी पिस्टल (कट्टा) बरामद कर लिया है। द्वारका सेक्टर-23 थाना पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर मामले में आगे की जांच कर रही है।
क्या है पूरा मामला ?
लक्ष्मी देवी तीन बच्चों व पति के साथ गांव में रहती हैं। तीन बच्चों में से अभिषेक व अंजलि जुड़वा हैं और यश सबसे छोटा है। वह गृहणी हैं और पति माल में काम करते हैं। उनके दोनों बेटे कोई काम नहीं करते हैं। दोनों आपराधिक मामलों में शामिल रहे हैं और अभिषेक हिस्ट्रीशीटर है।
अभिषेक लोगों से मारपीट करता है और रात को देर से घर लौटता है। मां उसकी गलत हरकतों से परेशान थीं। उसकी गलत संगत और हरकतों के लिए अक्सर डांटती-फटकारती थीं। वह उसे सही रास्ते पर लाने की कोशिश करती थीं, लेकिन अभिषेक अपनी हरकतों से बाज नहीं आता था।
मां-बेटे के बीच हुई थी तीखी नोकझोंक
शनिवार रात को घर में मां-बेटे के बीच फिर से तीखी नोकझोंक हुई। गुस्से में आकर अभिषेक ने पिस्टल से अपनी मां पर गोली चला दी, जो उनके पेट में जाकर लगी और कमर में फंस गई। घायल को स्वजन अस्पताल लेकर गए।, जहां से अस्पताल प्रशासन द्वारा पुलिस को जानकारी दी गई।
जानकारी के अनुसार, द्वारका सेक्टर-23 थाना पुलिस को शनिवार रात एक बजकर चार मिनट पर अस्पताल से जानकारी मिली थी कि महिला को गोली लगी है और उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। पुलिस कर्मी अस्पताल पहुंचे तो महिला घायल मिली।
इस दौरान स्वजन ने बताया कि रात को गली में कुत्ते भौंक रहे थे। जब लक्ष्मी घर के बाहर निकली तो किसी ने उन्हें गोली मार दी। पुलिस कर्मी जब डॉक्टर से मिलकर बाहर आए तो अस्पताल से महिला के बच्चे, पति और रिस्तेदार घर जा चुके थे।
अस्पताल में मां और घर चला गया बेटा…
उन्होंने कहा था कि डॉक्टर ने उन्हें घर जाने को कहा था। पुलिस कर्मी उनके घर पर पहुंचे तो वहां पर गोली चलने का कोई सुराग नहीं मिला। पुलिस कर्मी ने देखा कि घर में पोछा लगाया गया था और दो पोछे अभी तक गीले हैं। जब पुलिस को शक हुआ कि कोई कैसे अपने स्वजन को गोली लगने के बाद अस्पताल में अकेला छोड़कर घर जा सकता है और रात के समय पोछे गीले कैसे हैं।
साथ ही उनके चेहरों के हावभाव भी ऐसे नहीं लग रहे थे कि किसी अज्ञात ने गोली चलाई है। इसके बाद पुलिस ने सभी से अलग-अलग कर पूछताछ की। इस दौरान सभी के बयान अलग अलग थे। पुलिस ने गहनता से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि गोली अभिषेक ने चलाई थी। इसके बाद आरोपित को गिरफ्तार कर उससे पिस्टल बरामद कर ली गई।
पोछे ने फेरा खून के निशान मिटाने की “साजिश पर पानी’
महिला को अस्पताल में छोड़कर पति, बेटे व बेटी घर इसलिए भाग गए थे क्योंकि वह अभिषेक को बचाना चाहते थे। उन्हें पता था कि पुलिस घर पर जांच करेगी, इसलिए स्वजन द्वारा खून के निशानों को मिटाकर आरोपित अभिषेक को बचाने की कोशिश की गई थी।
उन्होंने पोछे से खून के निशान मिटा दिए थे और कारतूस का खोखा छिपा दिया। रात एक बजे घर में मिले गीले पोछे ने उनकी साजिश पर पानी फेर दिया। स्वजन ने अभिषेक को बचाने के लिए दरवाजे के बाहर गोली चलने का नाटक किया था। शुरुआत में आरोपित अभिषेक व उसके स्वजन ने दावा किया था कि गोली घर के बाहर से किसी ने चलाई थी। उनकी रंजीश चल रही है।
इसको लेकर गोली चलाई गई है। लेकिन घर के बाहर गोली चलने का कोई निशान नहीं था। लक्ष्मी देवी अपने बेटे को गलत रास्ते से बचाने की हर संभव कोशिश कर रही थीं। वह अभिषेक को बार-बार समझाती थीं कि वह पिस्टल न रखे। लेकिन उसकी जिद और गुस्से के सामने सब चुप हो जाते थे। यश तीन व अभिषेक पहले भी कम से कम छह आपराधिक मामलों में शामिल रहा है।