हाई कोर्ट ने केस रद करने से किया इनकार
साथ ही इसे समाज व नारी गरिमा के विरुद्ध बताते हुए समझौते के आधार पर केस रद करने के लिए धारा 482 की अंतर्निहित शक्ति का इस्तेमाल करने से इन्कार कर दिया। यह निर्णय न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की एकल पीठ ने रामपुर के तौफीक अहमद की याचिका खारिज करते हुए दिया है।
लड़की के मतांतरण से जुड़ा है मामला
प्रकरण हिंदू लड़की के मंतातरण से जुड़ा है। कोर्ट ने कहा, किसी भी धार्मिक परिवर्तन को वास्तविक तभी माना जाता है, जब मूल धर्म के सिद्धांतों के स्थान पर किसी नए धर्म के सिद्धांतों के प्रति ‘हृदय परिवर्तन’ और ‘ईमानदारी से विश्वास’ हो। मतांतरण में आस्था और विश्वास में परिवर्तन शामिल है।
कार्रवाई रद करे की गई थी मांग
महिला की गरिमा के साथ समझौता नहीं: हाई कोर्ट
यह पता चलने पर कि याची हिंदू नहीं मुस्लिम है, पीड़िता ने बच कर निकलने पर प्राथमिकी लिखाई और अपने बयान में आरोपों की पुष्टि भी की। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है। कोर्ट ने कहा, महिला की गरिमा के साथ समझौता नहीं हो सकता। यह अपराध है।