इमरजेंसी व अस्पताल में भर्ती मरीजों को ही डायलिसिस हो पाती है। ओपीडी के मरीज किसी दूसरे सरकारी या निजी अस्पताल में डायलिसिस कराने को मजबूर होते हैं। इसके मद्देनजर एम्स के नेफ्रोलाजी विभाग में लंबे समय से चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही थी।
एम्स प्रशासन ने नेफ्रोलाजी विभाग के लिए पुराने ओपीडी ब्लाक के चौथी मंजिल पर अतिरिक्त जगह उपलब्ध कराई। ताकि किडनी की बीमारियों के इलाज की सुविधा बढ़ाई जा सके।

क्या ओपीडी में पहुंचने वाले किडनी के मरीजों को सुविधा मिलेगी?

अप्रैल 2023 में नई डायलिसिस मशीनें लगाने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसके बाद अब तक दो वर्षों में सुविधा बढ़ तो नहीं पाई, लेकिन डायलिसिस यूनिट का काम शुरू हो चुका है।

अस्पताल के एक वरिष्ठ डाक्टर ने बताया कि जिस एजेंसी को नई डायलिसिस मशीनें लगाने की जिम्मेदारी दी गई है वही एजेंसी डायलिसिस यूनिट तैयार कर रही है। छह माह में काम पूरा हो जाएगा और इसमें 36 डायलिसिस मशीनें होंगी। इससे ओपीडी में पहुंचने वाले किडनी के मरीजों को भी एम्स में डायलिसिस की सुविधा मिल सकेगी।
डॉक्टर बताते हैं कि मौजूदा समय में दिल्ली में सरकारी क्षेत्र का सबसे बड़ा डायलिसिस यूनिट सफदरजंग अस्पताल में है। इस अस्पताल के नेफ्रोलाजी विभाग के डायलिसिस यूनिट में करीब 30 मशीनें हैं। एम्स की नई डायलिसिस यूनिट शुरू होने पर यह किसी सरकारी अस्पताल की सबसे बड़ी डायलिसिस यूनिट होगी।