जलवायु परिवर्तन की वजह से वैश्विक तापमान में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है। पिछले महीने फरवरी में भी ऐसी ही स्थिति बरकरार रही। यह तीसरा मौका है जब दुनिया ने इतनी गर्म फरवरी का सामना किया है। यूरोपियन कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) के अनुसार, पिछले महीना जलवायु इतिहास का अब तक का तीसरा सबसे गर्म फरवरी का महीना था।
जलवायु परिवर्तन की वजह से वैश्विक तापमान में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है। पिछले महीने फरवरी में भी ऐसी ही स्थिति बरकरार रही। यह तीसरा मौका है जब दुनिया ने इतनी गर्म फरवरी का सामना किया है। यूरोपियन कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) के अनुसार, पिछले महीना जलवायु इतिहास का अब तक का तीसरा सबसे गर्म फरवरी का महीना था। इस दौरान सतह के पास तापमान औद्योगिक काल से पहले 1850 से 1900 की तुलना में 1.59 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया।
आइसलैंड, आल्प्स गर्म और यूरोप ठंडा
रिपोर्ट के अनुसार, बीते माह यूरोप का औसत तापमान 1991 से 2020 के औसत की तुलना में 0.40 डिग्री सेल्सियस अधिक था। इसके बावजूद यह यूरोप के 10 सबसे गर्म फरवरी के महीनों में शुमार नहीं था। हालांकि, इस दौरान उत्तरी फेनोस्कैंडिया, आइसलैंड और आल्प्स सामान्य से ज्यादा गर्म थे, जबकि पूर्वी यूरोप अपेक्षाकृत ठंडा रहा। वैश्विक स्तर पर आर्कटिक के ज्यादातर हिस्सों के साथ-साथ, दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका, मैक्सिको, उत्तरी चिली, अर्जेंटीना और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया औसत से ज्यादा गर्म रहे, जबकि अमेरिका-कनाडा के कुछ हिस्से, कैस्पियन और पूर्वी भूमध्य सागर के पास के क्षेत्र और पूर्वी एशिया में तापमान सामान्य से कम रहा। दक्षिणी रूस, मंगोलिया, चीन और जापान के कुछ हिस्सों में भी तापमान अधिक रहा।
भारत में फसलों को नुकसान
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) का कहना है कि देश ने 2025 में अब तक की अपनी सबसे गर्म फरवरी का सामना किया। मौसम विज्ञानियों ने आशंका जताई है कि मध्य और उत्तरी भारत के प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में तापमान औसत से छह डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है जो फसलों के लिए नुकसानदायक है। बढ़ता तापमान गेहूं के साथ-साथ चना, मटर, मक्का, जौ, अलसी और सरसों के लिए भी परेशानी खड़ी कर सकता है। इस साल भारत में गर्मियों का आगाज कुछ पहले ही हो रहा है।
26 फरवरी 2025 को मुंबई में तापमान 38.7 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था जो सामान्य से करीब 5.9 डिग्री सेल्सियस अधिक था। इसकी वजह से समय से पहले हीटवेव की चेतावनी जारी करनी पड़ी। अन्य तटीय क्षेत्रों में भी तापमान 37 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया।
यूरोप में औसत से कम बारिश
फरवरी 2025 में यूरोप के ज्यादातर हिस्सों में औसत से कम बारिश दर्ज की गई है। सप्ताह में एक या दो दिन कुछ घंटों के लिए होने वाली मध्यम से तीव्र बारिश एक-एक पखवाड़े के अंतर में हल्की बरसात के रूप में तब्दील हो गई। नतीजन मध्य और पूर्वी यूरोप, दक्षिण-पूर्वी स्पेन और तुर्की में मिट्टी में शुष्कता अधिक रही।