वैश्विक व्यापार अनुसंधान पहल (जीटीआरआई) ने भारत को सलाह दी। जीटीआरआई वह अमेरिकी के साथ किसी भी तरह की व्यापारिक वार्ता से अपने कदम पीछे खींच ले और ट्रंप प्रशासन के साथ वैसा ही बर्ताव करें जैसा कि कनाडा और चीन उसके साथ कर रहे हैं।
आर्थिक थिंक टैंक वैश्विक व्यापार अनुसंधान पहल (जीटीआरआई) ने भारत को सलाह दी। जीटीआरआई वह अमेरिकी के साथ किसी भी तरह की व्यापारिक वार्ता से अपने कदम पीछे खींच ले और ट्रंप प्रशासन के साथ वैसा ही बर्ताव करें जैसा कि कनाडा और चीन उसके साथ कर रहे हैं। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने शनिवार को कहा कि अमेरिका भारत पर भारी दबाव डाल रहा है ताकि वह ऐसे व्यापार समझौतों को माने जो ज्यादातर अमेरिकी हितों को फायदा पहुंचाते हैं।
आयात शुल्क कटौती का ट्रंप का दावा गलत, भारत दे जवाब
ट्रंप ने शुक्रवार को दावा किया कि उनकी सरकार के भारत की अनुचित व्यापार नीतियों को उजागर करने के बाद भारत ने अमेरिकी आयातों पर शुल्क में कटौती करने पर सहमति जताई है, लेकिन श्रीवास्तव ने इस दावे के पूरी तरह गलत करार देते हुए इसे ट्रंप की भारत पर दबाव बनाने की कोशिश करार दिया है। उन्होंने कहा, इस मामले में भारत की चुप्पी हतप्रभ करने वाली है और भारत को तथ्यों के साथ इसका जवाब देना चाहिए। पूरी दुनिया देख रही है कि ट्रंप और उनके अधिकारी हर दिन भारत की बेइज्जती कर रहे हैं।
भारत के लिए खतरनाक अमेरिका से व्यापक व्यापार समझौता
अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लटनिक ने कह चुके हैं कि भारत को अपने कृषि बाजार को अमेरिकी उत्पादों के लिए खोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब भारत अपने सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार अमेरिका से वार्ता कर रहा है, तो कृषि को वार्ता से बाहर नहीं रखा जा सकता। उन्होंने उत्पाद-दर-उत्पाद व्यवस्था के बजाय भारत के साथ बड़े पैमाने पर व्यापार समझौते की वकालत की। वहीं, जीटीआरआई की रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका के साथ एक व्यापक व्यापार समझौता भारत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इससे सिर्फ टैरिफ में कटौती की ही मांग नहीं होगी, बल्कि सरकारी खरीद नीति, कृषि सब्सिडी, पेटेंट कानून और डाटा विनियमों में भी बदलाव की मांग उठ सकती है, जिनका भारत लंबे समय से विरोध करता रहा है।
भारत न दोहराए ऑस्ट्रेलिया जैसी गलती
जीटीआरआई ने सुझाव दिया कि भारत को जीरो-फॉर-जीरो नीति अपनानी चाहिए। इसका मतलब है कि भारत को टैरिफ तभी हटाना चाहिए जब अमेरिका भी ऐसा करे। हालांकि, कृषि, यात्री कारों और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों को इस समझौते से बाहर रखना चाहिए। रिपोर्ट ने भारत को चेतावनी दी कि उसे ऑस्ट्रेलिया जैसी गलती दोहराने से बचना चाहिए, क्योंकि ऑटो सेक्टर विनिर्माण जीडीपी में एक तिहाई का योगदान देता है। उदाहरण देते हुए, इसमें कहा गया है कि 1980 के दशक में ऑस्ट्रेलिया ने कारों पर आयात शुल्क 45 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दिया था, जिससे उसका घरेलू कार उद्योग पूरी तरह नष्ट हो गया था।