Saturday, June 21, 2025
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Goddess Lakshmi: ऊँ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता… शुक्रवार को इस आरती से करें देवी को प्रसन्न

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Goddess Lakshmi: सप्ताह के शुक्रवार का दिन धन की देवी माता लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन देवी की उपासना करने से साधक के सुख-सौभाग्य और धन में वृद्धि होती हैं।

Goddess Lakshmi: सप्ताह के शुक्रवार का दिन धन की देवी माता लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन देवी की उपासना करने से साधक के सुख-सौभाग्य और धन में वृद्धि होती हैं। कहते हैं कि शुक्रवार को मां लक्ष्मी की उपासना और व्रत रखने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है जिसके प्रभाव से साधक के बड़े से बड़े संकटों का निवारण होता है, इतना ही नहीं कुंडली में भी शुक्र की स्थिति मजबूत होती है।

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शुक्र सभी ग्रहों में सबसे शुभ है और वह सुख, वैभव, प्रेम धन-संपदा और खुशहाली के कारक है। उनके प्रभाव से व्यक्ति के भाग्य में वृद्धि और करियर, व्यापार व नौकरी में मनचाहे परिणामों की प्राप्ति होती हैं। मान्यता है कि शुक्रवार को पूजा-पाठ करने से कुंडली में शुक्र की स्थिति मजबूत और जीवन में ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा में माता लक्ष्मी की आरती करना और भी लाभकारी माना गया है, क्योंकि इससे देवी प्रसन्न होती है। ऐसे में आइए इस आरती के बारे में जानते हैं….

मां लक्ष्मी की आरती

ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

ऊं  जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

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