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महाकुंभ में ब्रांड एवं प्रमोशन पर कंपनियों ने पांच हजार करोड़ खर्च किए। पिछले कुंभ के मुकाबले ब्रांडिंग की कीमतों में चार गुना का इजाफा हुआ है। एक-एक पुलिस चौकी पर विज्ञापन के लिए डेढ़-डेढ़ लाख रुपये खर्च करने पड़े।
संगम में डुबकी लगाने आने वाले करोड़ों लोगों तक अपने ब्रांड की पहुंच बनाने के लिए कंपनियों ने पानी की तरह पैसे बहाए। कंपनी की अच्छी छवि पेश करने के लिए कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) फंड से भी करोड़ों खर्च किए गए।