महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग का पूजन करने से व्यक्ति की समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
वैसे तो शिवरात्रि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है, लेकिन फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व है। पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था, इसी कारण से इसे महाशिवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। विशेष रूप से महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग का पूजन करने से व्यक्ति की समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।शिवलिंग पूजन की महिमा
शिवलिंग भगवान शिव का दिव्य और चैतन्य स्वरूप है। यह ब्रह्मांड की सृजन, पालन और संहार शक्ति का प्रतीक माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार, शिवलिंग की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है, जीवन में शांति और समृद्धि आती है और भक्तो को भौतिक और आध्यात्मिक सुखों की प्राप्ति होती है। शिवलिंग का पूजन-अभिषेक करने से सभी देवी-देवताओं के अभिषेक और पूजा का फल उसी क्षण प्राप्त हो जाता है।
सभी प्रकार के पापों का नाश- शिवलिंग पर जल और पंचामृत चढ़ाने से व्यक्ति के पूर्व जन्मों और इस जन्म के पाप समाप्त हो जाते हैं।
अखंड सुख- समृद्धि- शिवलिंग की पूजा करने से घर में सुख, शांति और धन की वृद्धि होती है।
संतान सुख- संतान प्राप्ति के लिए पार्थिव शिवलिंग का पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
रोग और कष्टों से मुक्ति– विशेष रूप से शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाने से गंभीर बीमारियों और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
शत्रु बाधा से मुक्ति- शिवलिंग पूजन करने से शत्रु और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
वैवाहिक सुख – विवाह में बाधा हो या दांपत्य जीवन में समस्याएं हों, तो शिवलिंग पर केसर और दूध अर्पित करने से विवाह और वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है।
मोक्ष प्राप्ति- शिवरात्रि पर रात्रि जागरण करके शिवलिंग पूजन करने से व्यक्ति जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त हो सकता है।
शिवरात्रि के दिन विशेष फल कैसे प्राप्त करें?
महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर विशेष रूप से दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। इस दिन चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्व है।
पहला प्रहर- स्वास्थ्य और दीर्घायु प्राप्ति के लिए।
दूसरा प्रहर- धन और समृद्धि के लिए।
तीसरा प्रहर- मनोकामना पूर्ति और संतान सुख के लिए।
चौथा प्रहर- मोक्ष और शिव कृपा प्राप्त करने के लिए।