Thursday, June 19, 2025
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ऋषिकेश-कर्णप्रयाग प्रोजेक्ट का 80% काम पूरा, ऋषिकेश​ से​​​​​​ 5 घंटे में बद्रीनाथ धाम पहुंच सकेंगे

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’हम लोग आगे तक जाना चाहते थे, लेकिन ऋषिकेश से ही लौटना पड़ रहा है। महिलाओं और बच्चों के साथ आगे सड़क का सफर मुश्किल होगा। पैसे भी ज्यादा खर्च होंगे। अगर आगे तक ट्रेन चलने लगे, तो हम अपने बुजुर्गों को भी यहां घुमा ले जाएंगे।’

झारखंड के लोहरदगा जिले के रहने वाले उमेश साहू परिवार के साथ उत्तराखंड घूमने आए थे, लेकिन उन्हें ऋषिकेश से ही लौटना पड़ा। उनके लिए परिवार के साथ आगे का सफर मुश्किल ही नहीं, महंगा भी है। हालांकि, उनका पहाड़ों के बीच सरपट दौड़ती ट्रेन का सपना 2027 तक पूरा हो जाएगा।

ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल लाइन बिछाने का 80% काम पूरा हो चुका है। ये प्रोजेक्ट चार धाम रेल प्रोजेक्ट के तहत बन रहा है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट दिसंबर, 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद श्रद्धालु ट्रेन से रुद्रप्रयाग और कर्णप्रयाग पहुंच सकेंगे। इससे केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम का सफर आसान हो जाएगा।

ऋषिकेश​ से​​​​​​ 4 घंटे में गौरीकुंड, 5 घंटे में बद्रीनाथ धाम पहुंच सकेंगे अब तक ट्रेन की पहुंच उत्तराखंड में ऋषिकेश तक ही है। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक ट्रेन से पहुंचने में करीब 2 घंटे लगेंगे। रुद्रप्रयाग से केदारनाथ बेसकैंप यानी गौरीकुंड जाने के लिए सड़क के जरिए 2 घंटे का सफर करना होगा।

वहीं, कर्णप्रयाग स्टेशन पर उतरने के बाद करीब 3 घंटे की रोड जर्नी कर बद्रीनाथ धाम पहुंच सकेंगे। अभी ऋषिकेश से केदारनाथ बेसकैंप और बद्रीनाथ तक बस या कार से जाने में 9 से 12 घंटे लगते हैं। सिखों के पवित्र तीर्थ हेमकुंड साहिब जाने के लिए भी कर्णप्रयाग उतरना होगा। यहां से ढाई घंटे में हेमकुंड साहिब पहुंच सकते हैं।

मैप के जरिए समझिए कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट कहां बन रहा है और किन-किन शहरों से होकर गुजरेगा।

उत्तराखंड के चारधाम यानी गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ की यात्रा हरिद्वार से होती है। हरिद्वार से टैक्सी या बस से श्रद्धालुओं का जत्था निकलता है। पहले दिन का पड़ाव यमुनोत्री होता है। इसके बाद गंगोत्री जाते हैं। फिर रुद्रप्रयाग होते हुए केदारनाथ धाम के लिए यात्रा करते हैं। बद्रीनाथ धाम सबसे आखिरी पड़ाव है।

अभी अगर हम ऋषिकेश से चारों धाम के लिए सफर शुरू करते हैं, तो यहां से बस या गाड़ी के जरिए यमुनोत्री पहुंचने में करीब 9 घंटे लगते हैं। यमुनोत्री से गंगोत्री के सफर में भी 9 से 10 घंटे का वक्त लगता है।

वहीं केदारनाथ जाने के लिए ऋषिकेश से गौरीकुंड पहुंचना होता है। पहाड़ी रास्ता होने की वजह से 220 किमी का ये सफर बस या गाड़ी से तय करने में करीब 8-9 घंटे लगते हैं। इसके बाद गौरीकुंड से 16 से 18 किमी की ट्रैकिंग करके मंदिर तक पहुंचना होता है।

ऋषिकेश से बद्रीनाथ की दूरी 286 किमी है। यहां बस से पहुंचने में 11 से 12 घंटे लगते हैं। अगर केदारनाथ से सीधे बद्रीनाथ जाना हो तो 211 किमी के सफर में 8-9 घंटे लगते हैं।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद यमुनोत्री और गंगोत्री के सफर में तो कोई खास बदलाव नहीं आएगा, लेकिन केदारनाथ और बद्रीनाथ का सफर आसान हो जाएगा। ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग तक का सफर ट्रेन से महज डेढ़ घंटे में पूरा होगा।

रुद्रप्रयाग से बस से गौरीकुंड तक पहुंचने में करीब दो घंटे लगेंगे। यहां से केदारनाथ के लिए ट्रैकिंग शुरू कर सकेंगे। वहीं बद्रीनाथ के लिए ऋषिकेश से कर्णप्रयाग पहुंचना होगा। यहां से बस के जरिए 128 किमी का सफर तय करने में 3 घंटे लगेंगे।

चार धाम रेल प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद चार धाम रेल प्रोजेक्ट पूरा होने की अभी कोई डेडलाइन तय नहीं है। ये प्रोजेक्ट पूरा होगा, तो चारों धाम के लिए सफर और आसान हो जाएगा। यमुनोत्री के लिए डोईवाला से सीधे पलार तक ट्रेन से पहुंच सकेंगे। इसके बाद यमुनोत्री तक पहुंचने के लिए गाड़ी से 38 किमी की दूरी तय करनी होगी। वहीं गंगोत्री के लिए मनेरी तक ट्रेन की पहुंच होगी। मनेरी से गंगोत्री के लिए 84 किमी बस या गाड़ी से जाना होगा।

केदारनाथ के लिए ऋषिकेश से सोनप्रयाग तक ट्रेन से पहुंच सकेंगे। फिर यहां से गाड़ी या टैक्सी के जरिए 8 किमी की दूरी तय करके गौरीकुंड पहुंचा जा सकेगा। यहां से केदारनाथ के लिए ट्रैकिंग शुरू होगी। वहीं, बद्रीनाथ के लिए ऋषिकेश से ट्रेन से जोशीमठ पहुंच सकेंगे। फिर जोशीमठ से बद्रीनाथ का 40 किमी का सफर ही बचेगा, जिसे टैक्सी या गाड़ी से पूरा कर सकेंगे।

अब बात ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट की खराब मौसम और लैंडस्लाइड नहीं रोक पाएंगे सफर हमने सफर की शुरुआत ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से की। यहां हमें राहुल शर्मा मिले। इत्तेफाक से राहुल ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट पर ही काम कर रहे हैं।

वे कहते हैं, ‘रेल प्रोजेक्ट पूरा होने पर पहाड़ी रास्तों पर सफर आसान हो जाएगा। कई बार मौसम बिगड़ने या लैंडस्लाइड की वजह से रास्ते बंद हो जाते हैं। उस वक्त ट्रेन भी एक विकल्प होगी।’

’मैं इस प्रोजेक्ट के तहत बन रही टनल पर काम कर रहा हूं। ये टनल 9 किमी लंबी है। यकीन मानिए उस टनल से ट्रेन बाहर निकलेगी, तो नजारा देखकर दिल खुश हो जाएगा।’

इसी प्रोजेक्ट के तहत ऋषिकेश रेलवे स्टेशन को वर्ल्ड क्लास स्टेशन की तरह डेवलप किया गया है। कुंभ के दौरान हरिद्वार स्टेशन पर भीड़ ज्यादा होने पर यात्री इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। यहां से पब्लिक ट्रांसपोर्ट के जरिए हरिद्वार पहुंचना मुश्किल नहीं है।

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