जब दुनिया के पश्चिमी देश किसी प्रोजेक्ट के लिए परमिट, फाइलों और कानूनी उलझनों में फंसे रहते हैं, तब चीन उसी दौरान कुछ ऐसा कर देता है जो देखने वालों को हैरान कर दे।ताज़ा उदाहरण है चीन का बाइहेतान हाइड्रो पावर स्टेशन जिसे बनाने में चीन ने ऐसा काम कर दिखाया जिसे विदेशी इंजीनियर भी ‘पागलपन’ कहकर पुकार रहे हैं।इस परियोजना की शुरुआत 2017 में हुई थी। इसके बाद जो हुआ वो वाकई अद्भुत था चीन ने लगातार बिना रुके 8 मिलियन क्यूबिक मीटर कंक्रीट इस बांध पर डाल दी।सोचने की बात यह है कि जहां दूसरे देश क्रेन और ट्रक से धीरे-धीरे कंक्रीट डालते हैं, वहीं चीन ने इसे पूरा करने के लिए पूरा ‘एयरबॉर्न’ कंक्रीट कारखाना ही खड़ा कर दिया। सीमेंट मिक्सर ऐसे उड़ते नजर आए जैसे कोई साइंस फिक्शन फिल्म में ड्रोन उड़ रहे हों। रात-दिन काम चलता रहा कोई रुकावट नहीं, कोई देरी नहीं। बाइहेतान हाइड्रो पावर स्टेशन आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हाइड्रो पावर स्टेशन है। इसकी स्थापित क्षमता 16,000 मेगावाट है यानी अकेले ये स्टेशन कई देशों के बराबर बिजली बना सकता है।इस प्रोजेक्ट की खास बात ये भी है कि इसके लिए किसी भी उपकरण या पार्ट को बाहर से आयात नहीं किया गया। विशाल टरबाइन रनर से लेकर मेन शाफ्ट तक सब कुछ चीन में ही बनाया गया। कोई विदेशी कंपनी या टेक्नोलॉजी का ‘हाथ पकड़कर’ नहीं चलना पड़ा।कई विदेशी इंजीनियरों ने इस प्रोजेक्ट को देख कर कहा कि ये काम सामान्य तरीके से मुमकिन ही नहीं था। इतनी तेजी और इतने बड़े पैमाने पर निर्माण करना उनके लिए ‘पागलपन’ जैसा ही है। कई जानकार कहते हैं कि चीन ने निर्माण के मामले में दुनिया को पीछे छोड़ दिया है और वो दिखा रहा है कि तकनीक, संसाधन और पॉलिसी क्लियरेंस में कितनी बड़ी ताकत है।
‘पागलपन से कम नहीं!’ पश्चिमी देश उलझे परमिट में, चीन ने खड़ी कर दी पावर की नई दीवार (Video)
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