पीठ ने कहा कि गंभीर कादाचार में दोषी पाए जाने पर अनुशासनात्मक प्राधिकरण की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह उत्तरदाता (कांस्टेबल) पर उचित कार्रवाई करे। यह जिम्मेदारी विशेष रूप से पैरामिलिटरी बलों में बढ़ जाती है, जहां अनुशासन, नैतिकता, निष्ठा, सेवा के प्रति समर्पण और विश्वसनीयता बेहद जरूरी हैं।

कांस्टेबल को पता था कि बॉक्स में रुपये हैं

शीर्ष कोर्ट ने कहा कि कांस्टेबल जगेश्वर सिंह पैरामिलिटरी बल का सदस्य था, जोकि एक संवेदनशील सीमा क्षेत्र में तैनात था। कोर्ट ने पाया कि उस रात को वह संतरी की ड्यूटी निभा रहा था और उसे पता था कि बाक्स में कर्मियों को दिया जाना वाले वेतन रखा है।

नकदी बाक्स की सुरक्षा करने की उसकी पूरी जिम्मेदारी थी। लेकिन इसके उलट उसने नकदी बाक्स को तोड़ा और उसमें से रकम निकाली।

सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात

कोर्ट ने कहा कि दोषी से इसलिए भी कोई सहानुभूति नहीं दिखाई जा सकती कि वह पूर्व में भी अपने सेवाकाल के दौरान आठ बार अलग-अलग अवसरों पर कदाचार का दोषी पाया जा चुका है।