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गोरखपुर
चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू से पांच वन्यजीव संक्रमित हैं। जांच के लिए इनका सैंपल राष्ट्रीय उच्च पशु रोग संस्थान, भोपाल भेजा गया था लेकिन अभी रिपोर्ट नहीं आई है। अब चिड़ियाघर प्रशासन ने दोबारा 35 वन्यजीवों का सैंपल भेजा है। दोनों रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही दर्शकों के लिए चिड़ियाघर खुलेगा।
शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान में बाघिन शक्ति की मौत में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद से ही हड़कंप की स्थिति है। 12 मई को भोपाल से रिपोर्ट आई थी। 13 मई से ही चिड़ियाघर दर्शकों के लिए बंद है। प्राणि उद्यान ने दूसरे वन्यजीवों का सैंपल जांच के लिए राष्ट्रीय उच्च पशु रोग संस्थान, भोपाल भेजा था।
23 मई काे आई रिपोर्ट में बाघिन मैलानी, तेंदुए के दो शावक, हिमालयन गिद्ध और कॉकाटील में संक्रमण की पुष्टि हुई। इन्हें आईसोलेट कर इलाज किया जा रहा है। इसके बाद संक्रमित जानवरों सहित दूसरे वन्यजीवों का सैंपल जांच के लिए भेजा था। इसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है।
अब एक बार फिर 35 वन्यजीवों का सैंपल जांच के लिए भोपाल भेजा गया है। निदेशक विकास यादव ने कहा कि प्राणि उद्यान को 10 जून तक के लिए बंद किया गया है। संक्रमित सभी वन्यजीवों का उपचार चल रहा है। उनकी स्थिति अभी ठीक है। संक्रमित वन्यजीवों के साथ ही दूसरे जानवरों का सैंपल भोपाल भेजा गया है। दोनों रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही प्राणि उद्यान को खोला जाएगा।
पांच वन्यजीवों की हो चुकी है मौत
चिड़ियाघर में डेढ़ माह के अंदर पांच जानवरों की मौत हो चुकी है। 30 मार्च को पीलीभीत से रेस्क्यू कर लाए गए बाघ केसरी की मौत सबसे पहले हुई थी। इसके बाद पांच मई को मादा भेड़िया भैरवी, सात को बाघिन शक्ति और आठ मई को तेंदुआ मोना की मौत हुई थी। 23 मई को एक काकाटील की मौत भी हो गई थी।
बत्तखों से फैला संक्रमण
चिड़ियाघर और शहर के अन्य हिस्सों में बर्ड फ्लू संक्रमण बत्तखों से फैला है। बत्तख से यह संक्रमण कौओं में फैला, जिसके बाद कौओं ने इसे चिड़ियाघर और मीट की दुकानों तक पहुंचा दिया। पिछले दिनों संक्रमण की जांच के लिए चिड़ियाघर में आई केंद्रीय टीम की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है।
चिड़ियाघर के वेटलैंड और रामगढ़ताल में सर्द मौसम में बड़ी संख्या में हर साल प्रवासी पक्षी आते हैं। इसमें लेसर विसलिंग डक, कॉमन कूट समेत बत्तखाें की कई प्रजातियां शामिल हैं। टीम ने भी अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि बत्तख में अक्सर यह बीमारी पाई जाती है।
संक्रमित होने के बावजूद उनमें लक्षण नहीं दिखते। दरअसल, एक मई को ओलावृष्टि के बाद रामगढ़ताल में कई बत्तख मर गई थीं। विशेषज्ञों ने भी आशंका जताई थी कि मरे बत्तख को कौओं ने खाया होगा, जिससे वह बर्ड फ्लू से संक्रमित हो गए।
इसके बाद कौओं ने चिड़ियाघर और शहर के अन्य हिस्सों में संक्रमण फैला दिया। टीम ने अपनी रिपोर्ट में कुछ अन्य सुझाव भी दिए हैं। इसमें अस्पताल में जानवरों के इलाज के लिए उपकरण, चिकित्सक की तैनाती आदि शामिल हैं। इस तरह के संक्रमण से भविष्य में निपटने के लिए भी उचित इंतजाम करने का सुझाव दिया है।
टीम में ये लोग थे शामिल
चिड़ियाघर में वन्यजीवों की मौत के बाद केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाई थी। टीम ने 19 और 20 मई को चिड़ियाघर और उसके बाहर के इलाके का निरीक्षण किया था। इसमें डिपार्टमेंट ऑफ एनिमल हसबेंडरी, दिल्ली के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. विजय कुमार तेवतिया, राष्ट्रीय उच्च पशु संस्थान, भोपाल के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार, आईवीआरआई, बरेली से वाइल्डलाइफ हेड डॉ. एम पावड़े, सीनियर साइंटिस्ट एंड पैथोलॉजिस्ट डॉ. एम करिकलन और वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, देहरादून के वैज्ञानिक डॉ. करन जैन शामिल थे।