ग्रामीण रोजगार और कौशल विकास
महिला सशक्तिकरण के लिए खेती में योगदान
पतंजलि महिला सशक्तिकरण को लेकर बेहद सजग है। यहां महिलाओं को शिक्षा और रोज़गार के बराबर अवसर देने पर ज़ोर दिया जाता है। पतंजलि ने कई राज्यों जैसे उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में वहां की ग्रामीण महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बनाए हैं जिसमें उन्हें तुलसी, गिलोय और एलोवेरा जैसी औषधीय फसलें उगाने की ट्रेनिंग दी जाती है। जैविक खेती के साथ ही महिलाओं को बीज भी मुहैया कराये जाते हैं साथ ही खेती की नवीनतम तकनीक की ट्रेनिंग भी दी जाती है। महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और समाज में उनकी बराबर भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए पतंजलि उनके द्वारा उगाई गई फसलों की खरीद की गारंटी भी देता है।
जैविक और पारंपरिक खेती को बढ़ावा
स्वास्थ्य सेवाओं की आसान पहुंच
पतंजलि आयुर्वेद का नारा है- ‘प्रकृति का आशीर्वाद’, जो ब्रांड की सोच और कार्यशैली को दर्शाता है। ग्रामीण भारत को सशक्त और स्वस्थ बनाने के लिए पतंजलि ने देशभर में आरोग्य केंद्र और चिकित्सालय खोले हैं, जहां ग्रामीणों को बहुत कम कीमत में या मुफ्त में आयुर्वेदिक उपचार और दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं। Journal of Traditional and Complementary Medicine में प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक, पतंजलि की इस पहल से देश के ग्रामीण इलाकों में लोग समय रहते बीमारी की पहचान कर इलाज करवा पा रहे हैं। इससे न सिर्फ उनके लिए इलाज सस्ता हुआ है, बल्कि शहर के महंगे हॉस्पिटल में बार-बार लगने वाले चक्करों से भी निजात मिली है ।