बीएचयू अस्पताल में यह सुविधा बहुत कम शुल्क पर उपलब्ध होगी, पूर्वांचल में इसकी लंबे समय से जरूरत है। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की प्रो. शिखा सचान ने बताया कि हर महीने दो से तीन केस सिर्फ बीएचयू अस्पताल में आते हैं, जिसमें मां स्वस्थ होती है, इसके बाद भी गर्भावस्था के दौरान उसके बच्चे की मृत्यु हो जाती है।
मां-बाप जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि उनके साथ ऐसे क्यों हुआ। कोशिश है कि प्रसूति एवं स्त्री रोग, एनाटमी, पैथोलाजी, माइक्रोबायोलाजी व जेनेटिक समेत आधा दर्जन विभागों के समन्वय से योजना को धरातल पर उतारा जाए। गर्भावस्था के दौरान आनुवंशिक अथवा जन्मजात विकारों, संक्रमणों या जटिलताओं के बारे में जानकारी मिल सकेगी, इसके कारण माता-पिता को भविष्य में परिवार नियोजन और चिकित्सा प्रबंधन में मदद मिलेगी। यह प्रक्रिया पैथोलाजी विभाग के विशेषज्ञ पूरी कराएंगे। पैथोलाजिस्ट भ्रूण की बाहरी और आंतरिक जांच करता है और आगे की जांच के लिए अंगों या ऊतकों के नमूने लेता है।
आइएमएस बीएचयू के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की तरफ से आब्स्टेट्रिक एंड गायनेकोलाजिकल सोसाइटी के सहयोग से केएन उडुप्पा सभागार में फीटल मेडिसिन पर सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम आयोजित हुआ। भ्रूण चिकित्सा के नवीनतम अनुसंधानों, तकनीकी प्रगति और उपचार विधियों की जानकारी साझा की गई।