3.0kViews
1586
Shares
नई दिल्ली
जमानत दिलाने के बदले अहलमद द्वारा रिश्वत लेने के मामले की जांच में पक्षपात के आरोपों पर दिल्ली हाई कोर्ट ने भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) को जांच अधिकारी को बदलने पर विचार करने को कहा है।
अदालत ने उक्त निर्देश अहलमद की अग्रिम जमानत याचिका और जांच को सीबीआई को हस्तांतरित करने की मांग वाली याचिका पर विचार करते हुए दिया। याचिकाकर्ता अहलमद ने कहा कि उसने पहले भी पुलिस अधिकारी के खिलाफ अधिकारियों से शिकायत की थी।
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति गेडेला की पीठ ने एसीबी के वकील से कहा कि एसीबी को जांच अधिकारी को बदलने पर विचार करने का सुझाव दिया जाता है। कोर्ट ने कहा कि जांच न केवल पारदर्शी होनी चाहिए बल्कि पारदर्शी दिखनी भी चाहिए।
पीठ ने कहा कि अगर पक्षपात की कोई आशंका है, तो उस आशंका को दूर करें। अदालत ने स्पष्ट किया कि कोर्ट के कर्मचारी द्वारा भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह एक संस्था है।
वहीं, याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि वर्तमान अधिकारी द्वारा जांच का प्रत्येक दिन उनकी मुश्किलों को बढ़ा रहा है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि एसीबी ने निचली अदालत के न्यायाधीश को फंसाने के लिए रिश्वतखोरी की प्राथमिकी दर्ज की ताकि उससे बदला लिया जा सके। पिछली सुनवाई पर याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि मामले से जुड़ी सामग्री मीडिया को दी जा रही है।
एसीबी ने 16 मई को राउज एवेन्यू कोर्ट में तैनात रहे अहलमद मुकेश कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 7/13 के तहत मामला दर्ज किया था।
आरोप है कि अहलमद ने कुछ आरोपितों से उनकी जमानत सुनिश्चित करने के लिए रिश्वत मांगी और प्राप्त की। प्राथमिकी करने से पहले एसीबी ने जनवरी-2025 में दिल्ली सरकार के कानून सचिव को पत्र लिखकर न्यायाधीश की जांच करने की अनुमति मांगी थी।