1408
Shares
प्रयागराज
अभी तक हैसियत प्रमाण पत्र बनवाने में जमकर मनमानी की जाती रही। प्लाट अथवा खेत का गाटा सड़क के आसपास तथा बाजार के कुछ दूर या फिर सर्किल रेट में हेराफेरी कर उसकी कीमत बढ़ा दी जाती रही। प्रमाण पत्र बनवाने के बाद बैंक से कर्ज लिया जाता रहा और जब आरसी कटने के बाद बैंक व प्रशासन के अफसर मौके पर पहुंचे तो जमीन की कीमत ही कम पाई गई।
उदाहरण के तौर पर कोरांव के एक गाटा पर मालिक ने कस्बा से सटी जमीन दिखाकर हैसियत प्रमाण पत्र 50 लाख रुपये का बनवा लिया और उस पर एक करोड़ का बैंक से कर्ज ले लिया। बैंक ऋण न जमा करने पर जब जमीन कुर्क करने की बारी आई तो उस जमीन की कीमत 20 लाख रुपये ही निकली। गाटा भी कस्बा से दूर और मुख्य मार्ग के बजाय संपर्क मार्ग पर मिला।
जिले में इस तरह के 655 से ज्यादा मामले आए। ऐसे प्रकरणों की जांच तहसील स्तर के अधिकारी कर रहे हैं। इस तरह के फ्राड को रोकने के लिए अब निबंधन विभाग नई प्रक्रिया अपनाने जा रहा है। जिले में विभिन्न तरह की सड़कों के अगल-बगल के गाटों का सत्यापन और परीक्षण कराया जा रहा है।
इससे कौन गाटा किस तरह की सड़क के किनारे है अथवा आबादी से सटा है, की सटीक जानकारी मिल सकेगी, जिसका ब्यौरा सब रजिस्ट्रार के पास होगा, जिससे यह फ्राड रोका जा सकेगा। नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे, जिला स्तरीय सड़क, लिंक मार्ग के गाटों का सर्वे शुरू हो गया है। आबादी से सटे गाटों की भी सूची तैयार कराई जा रही है।