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पूर्वी दिल्ली
पूर्वी दिल्ली में शास्त्री पार्क स्थित जग प्रवेश चंद्र (जेपीसी) अस्पताल उत्तर पूर्वी जिले का सबसे बड़ा अस्पताल है। यह कहने के लिए सिर्फ बड़ा अस्पताल है। अस्पताल सफेद हाथी साबित हो रहा है। पिछले डेढ़ साल से इस अस्पताल में अल्ट्रासाउंड सेंटर पर ताला लटका हुआ है। अस्पताल में रेडियोलाजिस्ट ही नहीं है।
इस स्थिति में ओपीडी व इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए सात किलोमीटर दूर जीटीबी अस्पताल रेफर किया जा रहा है। रेफर किए जाने वाले मरीजों का डाटा भी अस्पताल नहीं रखता है। देश की राजधानी के एक सरकारी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड तक की व्यवस्था नहीं है।
सरकारी तंत्र की लापरवाही का नतीजा है जेपीसी अस्पताल के आसपास निजी अल्ट्रासाउंड सेंटर्स की चांदी हो रही है। मजबूरी में मरीज 1000 व 1500 रुपये का निजी सेंटर से अल्ट्रासाउंड करवा रहे हैं।
एक दिन में करीब दो हजार मरीज अस्पताल में अपना इलाज करवाने के लिए आते हैं। सोमवार व बृहस्पतिवार को अस्पताल में महिला एवं प्रसूति विभाग में ढाई सौ से तीन सौ मरीज आते हैं। गर्भवतियों को अल्ट्रासाउंड की जरूरत होती है। अस्पताल में इमरजेंसी भी है, सड़क दुर्घटना व अन्य चीजों में घायल लोगों को पुलिस जेपीसी लेकर आती है। इन घायलाें को अगर अल्ट्रासाउंड की जरूरत होती है तो पुलिस को उन्हें जीटीबी अस्पताल लेकर जाना पड़ता है।
प्रसूति विभाग में ओपीडी में दिखाने के लिए आई अमरीन ने कहा कि पिछले पांच माह से उनका इलाज अस्पताल में चल रहा है। बच्चे की स्थिति देखने के लिए डाक्टर अल्ट्रासाउंड करवाने को कहती है, अस्पताल में सुविधा नहीं है। इसलिए निजी सेंटर से करवाना पड़ता है।
महक कुमारी ने आरोप लगाया कि जीटीबी अस्पताल में खुद इतने मरीज होते हैं, वह जेपीसी अस्पताल से रेफर वाले मरीजों के अल्ट्रासाउंड पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। मजबूरी में मरीजों को निजी सेंटर में अल्ट्रासाउंड करवाने पड़ रहे हैं।