विश्वविद्यालय की मान्यता के लिए महामना को एक करोड़ रुपये ब्रिटिश सरकार को देने पड़े थे। महामना की यह बगिया ज्ञान-विज्ञान और शोध के मामले में नित नई ऊंचाइयां छू रही है। अभी हाल में ही आए राष्ट्रीय रैंकिंग में विश्वविद्यालय को पूरे देश में चौथा स्थान प्राप्त हुआ है।
तीन परिसरों में समाहित है पूरा विश्वविद्यालय

संप्रति इस विश्वविद्यालय के तीन परिसर हैं। मुख्य परिसर (1300 एकड़) वाराणसी शहर के दक्षिणी छोर पर स्थित है। इसमें ही छह संस्थान्, 14 संकाय और लगभग 140 विभाग हैं। विश्वविद्यालय का दूसरा परिसर मीरजापुर जनपद में बरकछा नामक पहाड़ियोें पर 2700 एकड़ में स्थित है जहां मुख्य रूप से पशुपालन चिकित्सा एवं संवर्धन की शिक्षा दी जाती है। विश्वविद्यालय में लगभग 80 छात्रावास हैं, जिनके कारण यह एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय कहा जाता है।
समृद्ध और देश भर में विशिष्ट है विज्ञान संस्थान

विश्वविद्यालय का विज्ञान संस्थान विज्ञान की आधुनिकतम शिक्षा के लिए देश-विदेश में उत्कृष्ट माना जाता है। देश-विदेश के अधिकांश ख्यात विज्ञानी यहां के फेकल्टी रह चुके हैं तो वर्तमान में अध्यापन कर रहे फेकल्टीज भी विश्वस्तरीय शोधों के माध्यम से दुनिया के शीर्षतम विज्ञानियों में गिने जाते हैं।
यहां परमाणु विज्ञान से लेकर खगोल, भूगोल व भूगर्भ विज्ञान, भू-भौतिकी तक की पढ़ाई होती है। जंतु विज्ञान में डीएनए शोध से लगायत आनुवंशिकी तक पर उत्कृष्ट शोधों ने विश्वविद्यालय व संस्थान का नाम वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध किया है।
कृषि विज्ञान संस्थान

कृषि विज्ञान संस्थान में अध्ययन-अध्यापन के साथ ही विस्तुत परिक्षेत्र व अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं में विश्वस्तरीय शोध कार्य चल रहे हैं।

पांच भारत रत्न, अनेक पद्मश्री, पद्मविभूषण, पद्मभूषण हैं विश्वविद्यालय की धरोहर

स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूूमिका निभाने वाले विश्वविद्यालय परिसर के गौरवशाली इतिहास से ओतप्रोत अनेक विज्ञानियों, स्वतंत्रता सेनानियों, संगीतकारों, कई राज्यपालों, देश् के वरिष्ठ नेता, मुख्यमंत्री, वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री आदि विश्वविद्यालय से निकले हैं तो विश्वविद्यालय के संस्थापक पं. मदन मोहन मालवीय, देश के दूसरे राष्ट्रपति व विश्वविद्यालय के कुलपति रहे सर्वपल्ली डा. राधाकृष्णन, विश्वविद्यालय में प्रोेफेसर रहे महान विज्ञानी सर सीवी रमन, प्रो. सीएनआर राव व विजिटिंग प्रोफेसर रहे देश के राष्ट्रपति मिसाइलमैन डा. एपीजे अब्दल कलाम भारत रत्न से अलंकृत इस विश्वविद्यालय की धरोहर हैं तो नेपाल के प्रधानमंत्री विशेश्वर प्रसाद कोइराला ने भी यहीं से शिक्षा प्राप्त की थी। अभी हाल में ही दिवंगत महान खगोल शास्त्री जीवीएम नार्लिकर यहां प्राध्यापक थे तो विख्यात डीएनए विज्ञानी डा. लालजी सिंह, ख्यात कृषि विज्ञानी प्रो. पंजाब सिंह आदि यहां के कुलपति रह चुके हैं।

अनेक पाठ्यक्रमों की देश् में शुरुआत का श्रेय है बीएचयू को

काशी हिंदू विश्वविद्यालय अपनी स्थापना काल से ही प्राची और प्रतीची का संगम रहा है। विश्वविद्यालय में जहां वेद-वेदांग,ज्योतिष, संस्कृत विद्या, धर्म विज्ञान की पढ़ाई होती है वहीं अनेक आधुुनिक वैज्ञानिक पाठ्यक्रमों के अध्ययन-अध्यापन के शुभारंभ का श्रेय भी विश्वविद्यालय को जाता है।
देश में सबसे पहले फर्मास्युटिकल इंजीनियरिंग, मेटलर्जी, सिरामिक विज्ञानकी पढ़ाई यहां आरंभ हुई तो विश्वविद्यालय की स्थापना काल से ही विज्ञान एवं वेद तथा आधुनिक चिकित्सा व आयुर्वेद की शिक्षा भी आरंभ हुई। अभी हाल में ही हिंदू अध्ययन नामक पाठ्यक्रम का शुभारंभ भी इसी विश्वविद्यालय से हुआ।
विश्वविद्यालय परिसर का सबसे बड़ा संग्रहालय है भारत कला भवन

भारत कला भवन, विश्वविद्यालय परिसर में स्थित एक अनूठा संग्रहालय है। यह एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय संग्रहालय है। यहां लगभग एक लाख से भी अधिक कलाकृतियां संग्रहित हैं जिसमें प्रस्तर मूर्तियां, सिक्के, चित्र, वसन, मृण्मूर्तियां, मनके, शाही फरमान, आभूषण, हाथी दांत की कृतियां, धातु की वस्तुएं, नक्कासी युक्त काष्ठ, मुद्राएं, प्रागैतिहासिक उपकरण, मृदभांड, अस्त्र-शस्त्र, साहित्यिक सामाग्री इत्यादि हैं।
इन्हें 13 वीथिकाओं में प्रदर्शित किया गया है। प्रसिद्ध विद्वान डा. ओपी केजरीवाल के अनुदान से महान संग्राहक फ्रेड पिन के संग्रहों की एक वीथिका भी यहां है। यह संग्रहालय अपने दुर्लभ, अद्वितीय तथा उत्कृष्ट चित्रों के संग्रह के लिए भी विश्वविख्यात है। यहां ताड़पत्र, कागज, कपड़ा, काष्ठ, चर्म, हाथी दांत, सीसा तथा अभ्रक चित्रित लगभग 12 हजार चित्रों का संग्रह है। चित्र वीथिका में 12वीं से 20वीं शती तक के भारतीय लघु चित्र प्रदर्शित हैं।
एशिया का सर्वसुविधा संपन्न सबसे बड़ा पुस्तकालय

बीएचयू का केंद्रीय पुस्तकालय सय्याजी राव गायकवाड़ पुस्तकालय है। यह पुस्तकालय 17000 वर्ग मीटर परिसर में फैला हुआ है। इसे एशिया का सबसे बड़े पुस्तकालयों मेें माना जाता है। इसमें कुल लगभग 16 लाख सुे अधिक पुस्तकें हैं तो 7751 पांडुलिपियां संग्रहित हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न विभागों व संकायों के पुस्तकालयों को मिलाकर भी कुल 16000 पांडुलिपियों का संगह है।
केंद्रीय पुस्तकालय में एक साथ एक समय में लगभग ढाई हजार छात्र-छात्राएं अध्ययन करते हैं। 22 घंटे खुलने वाले पुस्तकालय में एक दिन में लगभग छह से सात हजार छात्र पढ़ते हैं। इसके अतिरिक्त साइबर लाइब्रेरी में उपलब्ध 88000 पुस्तकों व 13000 जर्नल्स को विश्वविद्यालय के छात्र या फेकल्टी दुनिया के किसी कोने में बैठकर आनलाइन पढ़ सकते हैं।
यहां से एक साथ लगभग 50 हजार लोग रिमोट लागिंग के माध्यम से जुड़कर अध्ययन कर सकते हैं। पुस्तकालय में ओएनएस, यूएन डिपाजिटरी, आर्काइव, कैंब्रिज रीच एंड राइट आदि खास गलियारे हैं, जहां विश्वस्तरीय अध्ययन सामग्री उपलब्ध होती है।
भाषा विज्ञान विभाग में पढ़ सकते भारतीय एवं विदेशी भाषाएं

विश्वविद्यालय का भाषा विज्ञान विभाग की काफी समृद्ध हैं। भारतीय भाषाओं में हिंदी, उर्दूू, संस्कृत, भोजपुरी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, पंजाबी, प्राकृत, पाली आदि के साथ ही विदेशी भाषाओं में जर्मन, फ्रेंच, स्पेनिश, इंग्लिश आदि विषयों की पढ़ाई होती है। इसके अतिरिक्त यहां एक फोरेंसिक भाषाा विज्ञान इसे और विशिष्ट बनाता है। फोरेंसिक भाषा विज्ञान का अध्यापन देश में केवल बीएचयू में ही होता है।
अंतर्विषयक शोध का विलक्षण स्थल वैदिक विज्ञान केंद्र

विश्वविद्यालय में स्थापित वैदिक विज्ञान केंद्र स्वयं में एक अनूठा संस्थान है। यहां वेदों में निहित गणित, भौतिकी, रसायन, कृषि, पर्यावरण, रस शास्त्र, आयुर्वेद, मंत्र चिकित्सा, ध्वनि विज्ञान, मन विज्ञान, खगोल विज्ञान आदि का अध्ययन तो होता ही है। आधुनिक विज्ञान के विद्यार्थी अंतर्विषयक शोध के लिए प्राचीन ज्ञान-विज्ञान के सिद्धांतों पर शोध कर भारतीय ज्ञान परंपरा की श्रेष्ठता को विश्व में स्थापित करने में संलग्न हैं।
भारतीय संस्कारों व परिवेश में अधुनातन शिक्षा

महामना का विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य ही भारतीय संस्कारों से ओतप्रोत किंतु आधुनिक शिक्षा से युक्त युवा पीढ़ी का निर्माण था। यहां एक अत्याधुनिक विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान की अध्ययन सुविधा है तो वहीं धोती कुर्ता पहने छात्र संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में कंप्यूटर पर ज्योतिष आदि के संबंध में अत्याधुनिक शोध करते रहते हैं।
सभी छात्रों को निश्शुल्क चिकित्सा की सुविधा

विश्वविद्यालय में अध्ययनरत छात्र के बीमार हाेने की स्थिति में स्थापित छात्र स्वास्थ्य संकुल के माध्यम से चिकित्सा विज्ञान संस्थान व ट्रामा सेंटर के सभी विभागों में उनके निश्शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण, अत्याधुनिक जांच व चिकित्सा की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
शैक्षिक सत्र के साथ गीता प्रवचन सत्र

विश्वविद्यालय में महामना मालवीय भवन में गीता अध्ययन समिति की स्थापना की गई है। समिति के तत्वावधान में शैक्षिक सत्र के समान ही गीता प्रवचन सत्र आयोजित किया जाता है। शैक्षिक सत्रों की शुुरुआत के साथ ही इनके संपन्न होने तक प्रत्येक रविवार को मालवीय भवन मेें गीत प्रवचन का आयोजन किया जाता है। जिसमें देश के उत्कृष्ट विद्वान गीता पर प्रवचन के लिए उपस्थित होते हैं और समस्त छात्र-छात्राएं, प्राध्यापक व सामान्य जन इसमें प्रतिभाग करते हैं।
प्रत्येक छात्रावास के समक्ष क्रीड़ा मैदान

मालवीयजी की संकल्पना थी कि देश के विकास के लिए स्वस्थ मस्तिष्क की आवश्यकता होगी और स्वस्थ मस्तिष्क के लिए स्वस्थ् शरीर का होन आवश्यक है। इसके लिए उन्होंने प्रत्येक छात्रावास के सामने बड़े-बड़े खेल मैदानों का निर्माण कराया। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय क्रीड़ा समिति समय-समय पर विभिन्न स्थानीय व राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का आयोजन करती है। विश्वविद्यालय के अनेक छात्र अंतरराष्ट्रीय क्रीड़ा प्रतियोगिताओं में भी भाग लेते हैं और सफलता हासिल करते हैं। विश्वविद्यालय का केंद्रीय क्रीड़ा मैदान एंफिथिएटर मैदान है।
मैत्री जलपान गृह : 30 रुपये भोजन, 10 रुपये मे जलपान

परिसर स्थित मैत्री जलपान गृह छात्र-छात्राओं के अतिरिक्त सामान्य जन को भी 30 रुपये थाली की दर से भोजन व 10 रुपये में जलपान की सुविधा देता है। जलपानगृह का अत्यंत साफ-सुथरा वातावरण व भोजन की उत्कृष्टता के नाते यह 51 से अधिक वर्षों से विश्वविद्यालय के प्रत्येक जन का लोकप्रिय स्थल बना हुआ है।
जनसुविधाएं
  • सर सुंदरलाल चिकित्सालय एवं ट्रामा सेंटर
  • गोशाला
  • प्रेस व बुक-डिपो एवं प्रकाशन
  • टाउन कमेटी (स्वास्थ्य)
  • सीपीडब्ल्यूडी
  • स्टेट बैंक आफ इंडिया की शाखा
  • पर्वतारोहण केंद्र
  • एनसीसी प्रशिक्षण केंद्र
  • “हिंदू यूनिवर्सिटी” नामक डाकघर
  • सेवायोजन कार्यालय
  • विश्व पंचांग
  • ज्योतिष ओपीडी
  • महामना इन्क्यूबेशन सेंटर
  • डा. भीमराव आंबेडकर उत्कृष्टता केंद्र
  • पं. दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ
  • भारत अध्ययन केंद्र
  • महामना मालवीय अनुशीलन केंद्र

विश्वविद्यालय के उद्देश्य :-


अखिल जगत की सर्वसाधारण जनता के एवं मुख्यतः हिंदुओं के, लाभार्थ हिंदूशास्त्र तथा संस्कृत साहित्य की शिक्षा का प्रसार करना, जिससे प्राचीन भारत की संस्कृति और उसके उत्तम विचारों की रक्षा हो सके, तथा प्राचीन भारत की सभ्यता में जो कुछ महान तथा गौरवपूर्ण था, उसका निदर्शन हो।
  • सामान्यतः कला तथा विज्ञान की समस्त शाखाओं में शिक्षा एवं अनुसंधान को बढ़ावा देना।
  • भारतीय घरेलू उद्योगों की उन्नति और भारत की द्रव्य-संपदा के विकास में सहायक आवश्यक व्यावहारिक ज्ञान से युक्त वैज्ञानिक, तकनीकी तथा व्यावसायिक ज्ञान का प्रचार और प्रसार करना।
  • धर्म तथा नीति को शिक्षा का आवश्यक अंग मानकर नवयुवकों में सुंदर चरित्र का गठन करना।

विश्वविद्यालय के छह संस्थान


1.चिकित्सा विज्ञान संस्थान 

2.कृषि विज्ञान संस्थान 

3. पर्यावरण एवं संपोष्य विकास संस्थान 

4. भारतीय प्रौद्यौगिकी संस्थान 

5. प्रबन्ध शास्त्र संस्थान 

6. विज्ञान संस्थान

विश्वविद्यालय के प्रमुख संकाय

1.आयुर्वेद संकाय 

2. संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय 

3. संगीत एवं मंच कला संकाय 

4. दृश्य कला संकाय 

5. कला संकाय 

6. वाणिज्य संकाय 

7. शिक्षा संकाय 

8. विधि संकाय 

9. सामाजिक विज्ञान संकाय 

10.विज्ञान संकाय

संबद्ध महाविद्यालय

  • महिला महाविद्यालय, विश्वविद्यालय परिसर
  • वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा, वाराणसी
  • बसंत महिला महाविद्यालय, राजघाट, वाराणसी
  • डीएवी कालेज, वाराणसी
  • आर्य महिला डिग्री कालेज, चेतगंज, वाराणसी
  • राजीव गांधी दक्षिणी परिसर बरकछा, मीरजापुर

संबद्ध विद्यालय

  • श्री रणवीर संस्कृत विद्यालय, कमच्छा, वाराणसी
  • केंद्रीय हिंदू बाल विद्यालय, कमच्छा, वाराणसी
  • केंद्रीय हिंदू कन्या विद्यालय, कमच्छा, वाराणसी

विश्वविद्यालय से जड़े प्रमुख व्यक्तित्व

  • महामना पं. मदन मोहन मालवीय
  • एनी बेसेंट
  • महात्मा गांधी
  • हैदराबाद निजाम
  • जस्टिस सर सुंदर लाल
  • राजा दरभंगा
  • काशी नरेश
  • माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरुजी) – आरएसएस के द्वितीय सरसंघचालक
  • बाबू जगजीवन राम, पूर्व उप प्रधानमंत्री
  • अशोक सिंघल, विश्व हिंदू परिषद के भूतपूर्व अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष
  • लाला भगवानदीन, हिंदी साहित्यकार
  • बाबू श्यामसुंदर दास, साहित्यकार, बीएचयू हिंदी विभाग के संस्थापक
  • आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, हिंदी साहित्य के प्रमुख स्तंभों में एक एवं इतिहासकार
  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल, हिंदी साहित्य इतिहास के लेखक व प्रमुख आलोचक
  • आचार्य केशव प्रसाद मिश्र
  • विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
  • पं.पद्मनारायण आचार्य, हिंदी विभाग के प्राध्यापक
  • डा. शांति स्वरूप भटनागर, प्रसिद्ध वैज्ञानिक
  • डा. बीरबल साहनी, अंतरराष्ट्रीय ख्याति के पुरावनस्पति विज्ञानी
  • प्रो. जयंत विष्णु नार्लीकर, अंतरराष्ट्रीय ख्याति के खगोल विज्ञानी
  • भारत रत्न सीएनआर राव, वैज्ञानिक
  • अयोध्या सिंह उपाध्याय ””हरिऔध””
  • हरिवंश राय बच्चन
  • जगन्नाथ प्रसाद शर्मा
  • आचार्य नंददुलारे वाजपेयी
  • बाबू उमानाथ सिंह
  • भूपेन हजारिका, गायक एवं संगीतकार
  • प्रो. टीआर अनंतरामन
  • पीतांबर दत्त बड़थ्वाल
  • अहमद हसन दानी, पुरातत्व विद्वान एवं इतिहासकार
  • जस्टिस गिरधर मालवीय
  • लालमणि मिश्र संगीतकार
  • प्रकाश वीर शास्त्री, भूतपूर्व सांसद आर्य समाज आंदोलन के प्रणेताओं में से एक
  • रामचंद्र शुक्ल, चित्रकार
  • प्रो. वासुदेव शरण अग्रवाल, इतिहासकार, पुरातत्वविद्
  • भोलाशंकर व्यास
  • प्रो. शुकदेव सिंह
  • शिवप्रसाद सिंह
  • एमएन दस्तूरी, धातुकर्म के विद्वान
  • नरला टाटा राव
  • सुजीत कुमार, अभिनेता
  • समीर अंजान – गीतकार
  • मनोज तिवारी, भोजपुरी गायक, अभिनेता व सांसद
  • मनोज सिन्हा-वर्तमान उप राज्यपाल जम्मू कश्मीर