अध्ययन के दौरान उनको यह पता चला कि काशी धर्म और अध्यात्म की नगरी है और यहां आकर लोगों को मानसिक शांति मिलती है। इसीलिए वह सनातन धर्म के प्रति समर्पण भाव से काशी आ गईं। उन्हें सनातन धर्म, उसकी परंपराएं बेहद आकर्षित करती हैं।
वह कहती हैं कि काशी आने के बाद न सिर्फ उन्हें मानसिक शांति मिली है, बल्कि उन्हें सुखद अनुभूति हो रही है। उनकी इच्छा है कि वह आजीवन इसी तरह महादेव की आराधना करें और उनकी पेंटिंग के जरिए भगवान की भक्ति करती रहें।