दाेनों ने संत के सामने हुए दंडवत
प्रेमानंद महाराज ने जिज्ञासा शांत की
प्रेमानंद महाराज फिर जिज्ञासा शांत की। बोले, हमारा स्वभाव बन गया है बहीमुखी। बाहर यश, कीर्ति, लाभ, विजय से सुख मिलता है। भगवान जब कृपा करते हैं तो संत समागम देते हैं। जब दूसरी कृपा करते हैं तो विपरीतता देते हैं। फिर अंदर से रास्ता देते हैं कि यह मेरा परमशांति का रास्ता है। जीव को अपने पास बुलाते हैं। विराट जब भी विचलित हुए संत प्रेमानंद की शरण में गए। इस बार भी उनके बिना कुछ कहे, वह सब समझ गए फिर बोले, किसी को वैराग्य होता है तो प्रतिकूलता देखकर देता है। जब सब हमारे प्रतिकूल होता है तो आनंदित होते हैं।
प्रतिकूल समय आए तो आनंदित होकर सोचें
संत फिर बोले, जितने महापुरुष हुए, जिनका जीवन बदला, प्रतिकूलता से बदला। जब प्रतिकूल समय आए ताे आनंदित होकर सोचें भगवान की कृपा हुई है, सत्मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिली है। इसलिए आनंद पूर्वक भगवान का नाम जब करे। करीब साढ़े तीन मिनट तक संत प्रेमानंद को गंभीरता से सुनती अनुष्का ने फिर सवाल किया बाबा, क्या नामजप से सब पूरा हो जाएगा। उत्तर भी उतना ही तार्किक मिला। बोले, बिल्कुल होगा। फिर उदाहरण दिया, हमने अपने जीवन में इसका अनुभव किया है। सांख्ययोग, कर्मयोग, आष्टांग योग और भक्ति योग में हमारा प्रवेश रहा है। पहले हम संन्यासी रहे काशी विश्वनाथ में 20 वर्ष।
भगवान शंकर से बढ़कर ज्ञानी नहीं
संत प्रेमानंद ने कहा भगवान शंकर से बढ़कर कोई ज्ञानी नहीं। वह हर समय राम-राम और सनकादिक हरि शरणम जपते रहते हैं। वाणी के हर शब्द को इतना ध्यान से सुना, मानों से उन साथ -साथ गुन रहे हों। संत ने फिर कहा, यदि राधा-राधा जपते हो तो इसी जन्म में भगवत प्राप्ति होगी। दोनों को राधानाम की चुनरी ओढाई, तो उसे ऐसे शरीर से चिपकाया, मानों सब कुछ मिल गया। फिर दंडवत की और प्रस्थान किए। आश्रम में करीब साढ़े तीन घंटे गुजारे। वह वाराह घाट में रहने वाले संत प्रेमानंद के गुरु गौरांगी शरण से भी मिले, पांच मिनट उनका आशीर्वाद लिया और फिर दिल्ली निकल गए।
सबसे चार जनवरी 2023 को पहली बार दोनों संत प्रेमानंद के पास पहुंचे
यह विराट और अनुष्का की धर्म के प्रति आस्था ही है कि जब वह जब-जब संकट में आए संत के पास पहुंचे। सबसे चार जनवरी 2023 को पहली बार दोनों संत प्रेमानंद के पास पहुंचे, तब भी अध्यात्मिक चर्चा की। इस वर्ष जनवरी में विराट खराब फार्म से जूझ रहे थे। विचलित थे, तो फिर दस जनवरी को संत की शरण में पहुंचे। तब पूछा था असफलता से बाहर कैसे निकलेें। तब उत्तर मिला अभ्यास जारी रखें।