श्योपुर |
श्योपुर जिले के बंजारा डेम के समीप स्थित हसनपुर हवेली गाँव के निवासियों, विशेषकर महिलाओं ने, अपनी मांगों को पुरजोर तरीके से उठाने के लिए तीसरी बार चक्काजाम का सहारा लिया, इस बार भी उनकी मुख्य और अटल मांग गाँव के पास खुले शराब ठेके को तत्काल हटाने की थी, अपनी इस पुरजोर मांग को लेकर महिलाओं और बच्चों सहित ग्रामीणों ने श्योपुर-कोटा मार्ग को पूरी तरह से अवरुद्ध कर दिया, जिससे यातायात ठप हो गया और विरोध प्रदर्शन की एक गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई, दरअसल, यह विरोध प्रदर्शन अचानक नहीं भड़का था, बल्कि इसकी जड़ें लगभग एक महीने पहले हसनपुर हवेली बस्ती में खुले एक शराब ठेके में निहित थीं, इस ठेके के खुलने के बाद से ही स्थानीय महिलाओं ने इसके दुष्परिणामों को भांपते हुए लगातार विरोध प्रदर्शन किया था, उन्होंने पहले भी दो बार इसी मुद्दे पर चक्काजाम किया था, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय उप-जिलाधिकारी (एसडीएम) ने उन्हें मौखिक और लिखित दोनों तरह से यह आश्वासन दिया था कि शराब ठेके को जल्द ही हटा दिया जाएगा, हालाँकि, इन आश्वासनों के बावजूद, ठेका अभी तक अपनी जगह पर कायम है, जिससे ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं में गहरा आक्रोश और निराशा व्याप्त है, मंगलवार की सुबह लगभग 10 बजे, महिलाओं का धैर्य जवाब दे गया और वे बड़ी संख्या में सड़क पर उतर आईं, उन्होंने सड़क पर झाड़ियाँ और बैरिकेड लगाकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिससे श्योपुर-कोटा मार्ग पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से बाधित हो गई, दोपहर 1:30 बजे तक जाम जारी रहा, और इस दौरान सड़क के दोनों किनारों पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा, इस गंभीर स्थिति की सूचना मिलते ही स्थानीय विधायक बाबू जंडेल भी मौके पर पहुँच गए, और उन्होंने प्रदर्शनकारियों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करते हुए उनके धरने में शामिल होकर उनके आंदोलन को और अधिक नैतिक समर्थन प्रदान किया, विधायक की उपस्थिति ने प्रदर्शनकारियों के हौसले को और बढ़ाया और प्रशासन पर दबाव भी डाला, स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, एसडीएम बी.एस. श्रीवास्तव, एसडीओपी राजीव कुमार गुप्ता और आबकारी निरीक्षक संजीव कुमार ध्रुवे भी मौके पर मौजूद रहे, उन्होंने प्रदर्शनकारी महिलाओं से बातचीत करने और उन्हें शांत करने का प्रयास किया, लेकिन महिलाओं का रुख स्पष्ट और दृढ़ था, उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक उनकी मुख्य मांग, यानी शराब ठेके को स्थायी रूप से नहीं हटाया जाता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा, वे अपने गाँव और अपने बच्चों के भविष्य को शराब के दुष्प्रभावों से सुरक्षित रखने के लिए दृढ़ संकल्पित दिखाई दीं, उनका यह तीसरा चक्काजाम प्रशासन के लिए एक स्पष्ट संदेश था कि वे अपने अधिकारों और अपने समुदाय की भलाई के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं, और अब, जबकि स्थानीय विधायक भी उनके समर्थन में आ गए हैं, यह आंदोलन और अधिक मजबूत होता दिख रहा है, जिससे प्रशासन पर इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया है, देखना यह है कि प्रशासन इस स्थिति पर क्या रुख अपनाता है और कब तक ग्रामीणों की इस जायज मांग को पूरा करता है, क्योंकि महिलाओं ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका आंदोलन तब तक थमेगा नहीं जब तक उन्हें ठोस कार्रवाई का आश्वासन नहीं मिल जाता।