Saturday, July 26, 2025
Home Breaking News सरकारी नौकरी के लिए बनाए फर्जी जाति प्रमाण:ब्राह्मण पुलिसवाले ने ओबीसी बनकर...

सरकारी नौकरी के लिए बनाए फर्जी जाति प्रमाण:ब्राह्मण पुलिसवाले ने ओबीसी बनकर की 40 साल सर्विस, मुड़ा जाति वाले हो गए आदिवासी

3.2kViews
1828 Shares

भोपाल |

जबलपुर नगर निगम के वार्ड क्रमांक 24 से भाजपा पार्षद कविता रैकवार का चुनाव 30 अप्रैल को शून्य घोषित हो गया। वो अगले 5 साल के लिए चुनाव भी नहीं लड़ सकतीं। उन पर आरोप था कि उन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर चुनाव लड़ा था। इस शिकायत की जांच उच्चस्तरीय छानबीन समिति ने की थी, जिसमें प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया। समिति ने संभागायुक्त को कार्रवाई की सिफारिश की थी।

इसी तरह बुरहानपुर पुलिस लाइन में पदस्थ सब इंस्पेक्टर अमिताभ प्रताप सिंह ने भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर 25 साल तक नौकरी की। शिकायत के बाद जब मामले की जांच हुई तो उनका जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया। ये केवल दो मामले नहीं हैं बल्कि सरकार ने ही विधानसभा में बताया है कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए सरकारी नौकरी करने वाले 232 मामलों की जांच जारी है।

दैनिक भास्कर ने जब इस मामले की और पड़ताल की तो पाया कि राज्यस्तरीय छानबीन समिति के पास फर्जी जाति प्रमाण पत्र के 7 हजार से ज्यादा मामले 15 साल से लंबित हैं। वहीं, कोर्ट में ऐसे 17 हजार से ज्यादा मामले हैं, जिन पर सुनवाई चल रही है। जातिगत जनगणना पर हो रही सियासत के बीच मंडे स्टोरी में पढ़िए, फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए सरकारी नौकरी और पद हासिल करने का खेल….

25 साल तक वर्दी का रौब दिखाया ये मामला बुरहानपुर पुलिस लाइन में पदस्थ एसआई अमिताभ प्रताप सिंह का है। मूलत: जबलपुर के नेपियर टाउन के रहने वाले अमिताभ प्रताप सिंह के खिलाफ 22 अप्रैल को कलेक्टर ने कार्रवाई के लिए सरकार को पत्र लिखा है। दरअसल, अमिताभ प्रताप सिंह पर आरोप है कि उन्होंने 25 साल तक फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर पुलिस की नौकरी की।

मामले की शिकायत के बाद एसडीएम ने जांच की और पाया कि अमिताभ प्रताप सिंह उर्फ अमिताभ थियोफिलस ईसाई हैं। उन्होंने साल 2000 में सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती होने के लिए 1988/1989 में गौड़ समाज का जाति प्रमाण पत्र बनवाया था। आरक्षण का फायदा लेते हुए वह पुलिस विभाग में भर्ती हुए।

2019 में भी हुई थी शिकायत एसआई अमिताभ सिंह ईसाई समुदाय से थे, लेकिन वह लोगों के सामने खुद को राजपूत बताते थे। भोपाल निवासी सोनाली रात्रा ने साल 2019 में जनजातीय विभाग की तत्कालीन आयुक्त दीपाली रस्तोगी से उनके फर्जी जाति प्रमाण पत्र की शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

9 अक्टूबर 2024 को एक बार फिर प्रमिला तिवारी ने जनजातीय विभाग के आयुक्त ई-रमेश से फर्जी जाति प्रमाण पत्र की शिकायत की। फरवरी 2025 में कमिश्नर ने जांच के लिए जबलपुर के कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना को पत्र लिखा। कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम रघुवीर सिंह मरावी ने जांच की।

उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अमिताभ सिंह ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के माध्यम से पुलिस की नौकरी हासिल की थी।

‘मुड़ा’ सरनेम की बिंदी बदलकर किया मुंडा, जांच शुरू दमोह कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई के दौरान फर्जी जाति प्रमाण पत्रों का मामला सामने आया। शिकायतकर्ता राजेश रजक अपने वकील गजेंद्र चौबे के साथ कलेक्टर के पास पहुंचे। उन्होंने कलेक्टर सुधीर कोचर को बताया कि दमोह में मुंडा जाति के लोग नहीं रहते हैं। उसके बाद भी कुछ मुड़ा जाति के ओबीसी वर्ग के लोगों ने फर्जी तरीके से मुंडा जाति के प्रमाण पत्र बनवाकर आदिवासी कोटे से सरकारी नौकरियां हासिल कर ली हैं।

शिकायतकर्ता राजेश रजक ने कलेक्टर को पाटन की सीएमओ जयश्री, जबलपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में काम करने वाले उनके भाई विक्रम सिंह और दमोह कलेक्ट्रेट के भू अभिलेख शाखा में कंप्यूटर ऑपरेटर पद पर तैनात जयदीप का नाम बताया। ये तीनों मुड़ा हैं मगर इन्होंने मुंडा जाति का प्रमाण पत्र बनाया है। कलेक्टर ने इस मामले की जांच एसडीएम को सौंपी थी।

बारी जाति की बजाय कोरी जाति का प्रमाण पत्र बनवाया भोपाल की सपना वर्मा बारी जाति की है। उसने खुद को कोरी जाति का बताकर साल 1988-89 में फर्जी जाति प्रमाण पत्र तैयार कराया। इसके आधार पर पुरातत्व संग्रहालय, मध्यप्रदेश में नौकरी हासिल की। सपना ने यहां 1 जून 1993 से 24 मई 1995 तक नौकरी की। इसके बाद जाति प्रमाण पत्र के फर्जी होने की शिकायत हुई।

विभाग ने इसकी जांच की और जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने पर केस दर्ज कराया। भोपाल के न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) कृष्णकांत बागरे की अदालत ने 25 अप्रैल को सपना वर्मा को 2 साल की सजा सुनाई है।

केस2: ब्राह्मण पुलिस वाले ने कोरी बनकर की 40 साल नौकरी ये मामला इंदौर के सत्यनारायण वैष्णव का है। सत्यनारायण का जन्म 7 जून 1964 को हुआ था। 19 साल की उम्र में 4 अगस्त 1983 को वह पुलिस में बतौर आरक्षक भर्ती हो गया। इस दौरान सत्यनारायण ने अपनी जाति कोरी होने का सर्टिफिकेट पेश किया था। 23 साल बाद 2006 में एसपी ऑफिस को इस मामले की शिकायत मिली।

इस शिकायत में दावा किया गया कि सत्यनारायण के पिता रामचरण वैष्णव, उसका बड़ा भाई श्यामलाल वैष्णव और छोटा भाई ईश्वर वैष्णव सभी वैष्णव ब्राह्मण हैं। एसपी ऑफिस ने पूरे मामले की जांच की तो पाया कि सत्यनारायण कोरी नहीं बल्कि ब्राह्मण है। पुलिस ने केस दर्ज कर 2013 में कोर्ट में चालान पेश किया था। 2026 में रिटायरमेंट से पहले सत्यनारायण को 10 साल की सजा सुनाई गई है।

सरकार ने माना फर्जी सर्टिफिकेट से नौकरी पाने के 350 मामले मध्यप्रदेश में फर्जी प्रमाण पत्र से सरकारी नौकरी पाने के 350 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। कांग्रेस विधायक डॉ. राजेंद्र सिंह के सवाल पर मंत्री विजय शाह ने यह जानकारी इसी साल जनवरी में विधानसभा में दी है।

सरकार ने अपने जवाब में बताया कि पिछले 10 साल में फर्जी जाति प्रमाण पत्र और फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र से नौकरी पाने के 350 से ज्यादा मामले सामने आए, जिनमें से 232 की जांच चल रही है। वहीं, 24 अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ दोष साबित हो चुका है।

छानबीन समिति का सुस्त रवैया, 15 साल से अटके केस सरकारी कर्मचारियों और राजनीतिक लोगों के जाति प्रमाण पत्रों की जांच करने के लिए सरकार ने राज्यस्तरीय छानबीन समिति बनाई है। समिति का अध्यक्ष अनुसूचित जाति विभाग के शीर्ष अधिकारी को बनाया जाता है। फिलहाल प्रमुख सचिव ई रमेश कुमार इस समिति के अध्यक्ष हैं।

सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) के स्पष्ट निर्देश हैं कि यह समिति जाति प्रमाण पत्र में संदेह होने पर तीन माह में जांच कर कार्रवाई करेगी। इसके विपरीत प्रदेश में 14-15 सालों से जांच पेंडिंग हैं। वहीं, सरकारी नौकरियों में जाति प्रमाण पत्रों की संदिग्धता के 17 हजार से ज्यादा मामले कोर्ट में पेंडिंग हैं।

केस1: 10 साल से स्टे पर नौकरी कर रहे चीफ इंजीनियर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) में चीफ इंजीनियर आनंद लिखार का महाराष्ट्र के हलवा जनजाति का प्रमाण-पत्र है, जिसे मप्र में राज्यस्तरीय छानबीन समिति रद्द कर चुकी है। इस पर उन्होंने 10 साल से हाई कोर्ट से स्टे ले रखा है। अब तक न छानबीन समिति और न विभाग ने स्टे वैकेट कराया।

केस2: बिना जवाब लिए क्लीन चिट सागर में पीडब्ल्यूडी चीफ इंजीनियर चंद्रपाल सिंह की एसटी जाति को लेकर 1 साल पहले शिकायत हुई। उनके पिता रतनलाल एससी विभाग में अफसर थे। छानबीन समिति ने जानकारी मांगी कि उनके पिता सेवा में किस श्रेणी में भर्ती हुए लेकिन विभाग ने कोई जवाब नहीं दिया। बावजूद इसके समिति ने इसे इग्नोर करते हुए क्लीन चिट दी।

केस3: फर्जी प्रमाण पत्र पर दो कार्यकाल पूरे किए ज्योति धुर्वे साल 2009 से 2019 तक बैतूल से सांसद रहीं। यह एसटी के लिए आरक्षित सीट है। 2009 में ज्योति का गोंड जाति का प्रमाण पत्र संदिग्ध होने की शिकायत हुई, पर कार्रवाई नहीं हुई। 2019 में उनका एमपी का कार्यकाल भी खत्म हो गया। हाई कोर्ट के निर्देश पर राज्यस्तरीय छानबीन समिति ने जांच की तो प्रमाण पत्र फर्जी निकला।

अब जानिए, 15-20 साल से क्यों लटके हैं मामले मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि 1962 में जारी किए गए दिशा-निर्देशों के मुताबिक राजपत्रित अधिकारी, तहसीलदार और रेंजर को जाति प्रमाण पत्र जारी करने के अधिकार दिए गए थे। इसके बाद 1975 में यही अधिकार मंत्रियों को भी दे दिए गए थे।

सरकार ने 1987 में नियमों में फिर संशोधन कर अतिरिक्त तहसीलदार सहित कलेक्टर, एडिशनल कलेक्टर, एसडीओ, सिटी मजिस्ट्रेट, परियोजना प्रशासक एकीकृत आदिवासी परियोजना को भी जाति प्रमाण पत्र के लिए अधिकृत कर दिया गया था। अलग-अलग लोगों के पास अधिकार होने से अधिकांश कार्यालयों में इनका रिकॉर्ड सुरक्षित नहीं है।

1996 से पहले जब इन अफसरों को जाति प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार था, तब न तो आवेदन का प्रावधान था, न ही कोई प्रारूप। अलग-अलग जगह से जाति प्रमाण पत्र बनने के कारण इनका कहीं भी एक जगह रिकॉर्ड भी नहीं रखा जाता था।

राज्यस्तरीय छानबीन समिति के अध्यक्ष ई रमेश कुमार का कहना है कि जाति प्रमाण पत्रों की शिकायत मिलने पर समय-समय पर समिति की बैठक की जाती है। फिलहाल, हर महीने कम से कम चार बैठकें तो हो ही जाती हैं।

 

RELATED ARTICLES

TAKSAL NEWS: अमलोरी के आवासीय कॉलोनी में 2 बंदरों का आतंक, आधा दर्जन से अधिक लोगों को काटा?

सिंगरौली। नवानगर थाना क्षेत्र के अमलोरी आवासीय कॉलोनी में इन दोनों दो बंदरों ने आतंक फैला रखा है ये दोनों बंदर शायद पागल स्वभाव...

जहां शहीद हुए थे 40 जवान.. वहां बढ़ेगी CRPF की ताकत, सरकार ने दी मंजूरी

जम्मू-कश्मीर में कानून व्यवस्था एवं आतंकवाद उन्मूलन अभियानों में जम्मू-कश्मीर पुलिस का सहयोग कर रही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल अब अपने जवानों की दक्षता...

रेलवे स्टेशन के Washroom में मची अफरा-तफरी, जल्द पहुंचे अधिकारी, नजारा देख उड़े सबके होश

जम्मू रेलवे स्टेशन पर उस समय अफरा-तफरी मच गई जब स्टेशन के वॉशरूम से एक युवक का शव संदिग्ध परिस्थितियों में बरामद हुआ। मृतक...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

TAKSAL NEWS: अमलोरी के आवासीय कॉलोनी में 2 बंदरों का आतंक, आधा दर्जन से अधिक लोगों को काटा?

सिंगरौली। नवानगर थाना क्षेत्र के अमलोरी आवासीय कॉलोनी में इन दोनों दो बंदरों ने आतंक फैला रखा है ये दोनों बंदर शायद पागल स्वभाव...

जहां शहीद हुए थे 40 जवान.. वहां बढ़ेगी CRPF की ताकत, सरकार ने दी मंजूरी

जम्मू-कश्मीर में कानून व्यवस्था एवं आतंकवाद उन्मूलन अभियानों में जम्मू-कश्मीर पुलिस का सहयोग कर रही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल अब अपने जवानों की दक्षता...

रेलवे स्टेशन के Washroom में मची अफरा-तफरी, जल्द पहुंचे अधिकारी, नजारा देख उड़े सबके होश

जम्मू रेलवे स्टेशन पर उस समय अफरा-तफरी मच गई जब स्टेशन के वॉशरूम से एक युवक का शव संदिग्ध परिस्थितियों में बरामद हुआ। मृतक...

J&K में आतंकवाद पर कड़ा प्रहार, Pakistan में बैठे आतंकी आकाओं पर सख्त कार्रवाई

आतंकवाद को आर्थिक तौर पर कमजोर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और सख्त कदम उठाते हुए, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को हिजबुल मुजाहिदीन...

Recent Comments