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वाराणसी
जन्मजात और वंशानुगत आनुवंशिक बीमारी देश की महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या है। ऐसे में जनता काे पर्याप्त और प्रभावी आनुवंशिक परीक्षण और परामर्श सेवाओं की आवश्यकता है, लेकिन देश में उपलब्ध कई आनुवंशिक विकारों के लिए नैदानिक परीक्षण आरंभिक अवस्था में है जबकि कई आनुवंशिक रोगों के लिए प्रसव पूर्व निदान संभव है। अफसोस, पूर्वी यूपी में यह सुविधा सीमित अस्पतालों में ही उपलब्ध है, इन्हीं आनुवंशिक विकारों पर बीएचयू का चिकित्सा विज्ञान संस्थान शोध करेगा।
एसजीपीजीआइ लखनऊ के बाद चिकित्सा विज्ञान संस्थान के बायोकेमिस्ट्री विभाग में प्रदेश का दूसरा आनुवंशिक निदान केंद्र स्थापित हुआ है। यहां पर न्यू बार्न स्क्रीनिंग, हीमोग्लोबिन एचपीएलसी और पीसीआर माइक्रोस्काेप समेत कई आधुनिक उपकरण की खरीद हुई है। सुविधायुक्त लैब भी शुरू हुआ है।
बाल रोग, स्त्री एवं प्रसूति रोग, जेनेटिक डिसआर्डर सेंटर और फार्माकोलाजी विभाग के विशेषज्ञ पूर्वांचल के आकांक्षी जिलों में वंशानुगत आनुवंशिक रोगों का उपचार करेंगे। गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की निश्शुल्क स्क्रीनिंग हाेगी।
बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल और चंदौली के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल से सेंपल एकत्र होेने लगा है। दोनों स्थानों से करीब छह सौ नमूनों की जांच भी शुरू हो चुकी है, इनमें करीब 10 महिलाओं और बच्चों में आनुवंशिक विकारों की पुष्टि हुई है। कई विभागों से समन्वय स्थापित करते हुए बीएचयू अस्पताल में उपचार भी शुरू हो चुका है।
प्रति वर्ष 10 हजार सेंपल की जांच करने का लक्ष्य
प्रत्येक वर्ष 10 हजार से अधिक महिलाओं और बच्चों के आनुवंशिक विकारों की स्क्रीनिंग का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। गर्भवती माताओं और नवजात शिशुओं की आनुवंशिक जांच के लिए अपेक्षित बुनियादी ढांचा और विशेषज्ञता वाले संस्थानों के सहयोग से आकांक्षी जिलों को लाभान्वित किया जाएगा।
गर्भवती महिलाओं के लिए बीटा थैलेसीमिया, सिकल सेल रोग और अन्य हीमोग्लोबिनोपैथी में आनुवंशिक विकारों का अध्ययन होगा जबकि नवजात बच्चों में जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म, एड्रेनल हाइपरप्लासिया, गैलेक्टोसिमिया, बायोटिनिडेस की कमी, ग्लूकोज व फास्फेट डिहाइड्रोजन पर फोकस किया जाएगा।
बच्चों के प्रमुख आनुवंशिक विकारफेनिलकेटोनुरिया (पीकेयू), मेपल सिरप मूत्र रोग (एमएसयूडी), गैलेक्टोसिमिया, यूरिया चक्र विकार, विल्सन रोग, होमोसिस्टिनुरिया, कार्बनिक एसिडेमिया, फैटी एसिड ऑक्सीकरण दोष, लाइसोसोमल भंडारण विकार और विटामिन व कोफैक्टर चयापचय संबंधित विकार।
महिलाओं के प्रमुख आनुवंशिक विकार
डाउन सिंड्रोम (ट्राइसोमी 21), एडवर्ड्स सिंड्रोम (ट्राइसोमी 18), न्यूरल ट्यूब दोष (एनटीडी), स्पाइना बिफिडा, सिस्टिक फाइब्रोसिस, सिकल सेल रोग, थैलेसीमिया, फैजाइल एक्स सिंड्रोम, पालीसिस्टिक किडनी रोग व स्पाइनल मस्कुलर डिस्ट्राफी।
सोनभद्र और मीरजापुर को भी योजना से जोड़ने की तैयारी
बायोकेमिस्ट्री विभागाध्यक्ष डा. कमलेश पालांदूरकर ने बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिक मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से तीन वर्ष में साढ़े चार करोड़ रुपये आवंटित होंगे। पहले चरण में एक करोड़ रुपये मिल चुका है। अभी दो जिलों में योजना शुरू की गई है लेकिन भविष्य में सोनभद्र और मीरजापुर को भी जोड़ने की तैयारी है।