गर्भवती महिलाओं के लिए बीटा थैलेसीमिया, सिकल सेल रोग और अन्य हीमोग्लोबिनोपैथी में आनुवंशिक विकारों का अध्ययन होगा जबकि नवजात बच्चों में जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म, एड्रेनल हाइपरप्लासिया, गैलेक्टोसिमिया, बायोटिनिडेस की कमी, ग्लूकोज व फास्फेट डिहाइड्रोजन पर फोकस किया जाएगा।
बच्चों के प्रमुख आनुवंशिक विकारफेनिलकेटोनुरिया (पीकेयू), मेपल सिरप मूत्र रोग (एमएसयूडी), गैलेक्टोसिमिया, यूरिया चक्र विकार, विल्सन रोग, होमोसिस्टिनुरिया, कार्बनिक एसिडेमिया, फैटी एसिड ऑक्सीकरण दोष, लाइसोसोमल भंडारण विकार और विटामिन व कोफैक्टर चयापचय संबंधित विकार।

महिलाओं के प्रमुख आनुवंशिक विकार

डाउन सिंड्रोम (ट्राइसोमी 21), एडवर्ड्स सिंड्रोम (ट्राइसोमी 18), न्यूरल ट्यूब दोष (एनटीडी), स्पाइना बिफिडा, सिस्टिक फाइब्रोसिस, सिकल सेल रोग, थैलेसीमिया, फैजाइल एक्स सिंड्रोम, पालीसिस्टिक किडनी रोग व स्पाइनल मस्कुलर डिस्ट्राफी।

सोनभद्र और मीरजापुर को भी योजना से जोड़ने की तैयारी

बायोकेमिस्ट्री विभागाध्यक्ष डा. कमलेश पालांदूरकर ने बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिक मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से तीन वर्ष में साढ़े चार करोड़ रुपये आवंटित होंगे। पहले चरण में एक करोड़ रुपये मिल चुका है। अभी दो जिलों में योजना शुरू की गई है लेकिन भविष्य में सोनभद्र और मीरजापुर को भी जोड़ने की तैयारी है।