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प्रयागराज
महाकुंभ में मौनी अमावस्या की रात संगम तट पर मची भगदड़ की जांच कर रहे न्यायिक आयोग ने डाॅक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ से पूछताछ की। परेड ग्राउंड में बने सेंट्रल हाॅस्पिटल में तैनात रहे डाॅ. वीएन गुप्ता, डाॅ. विनय यादव व डाॅ. आशुतोष यादव सहित पांच पैरामेडिकल कर्मचारी शुक्रवार को लखनऊ में आयोग के समक्ष पेश हुए।
आयोग ने डाॅक्टरों से पूछा-भगदड़ के बाद कितनी-कितनी देर में घायल श्रद्धालु लाए जाते रहे? इलाज के दौरान घायलों से क्या बातें हुईं? इलाज में किस तरह की तकनीकी अपनाई गई? आदि प्रश्न पूछे गए।
मौनी अमावस्या पर 28/29 जनवरी की रात संगम तट पर भगदड़ मच गई थी। इसमें 30 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जबकि काफी संख्या में घायल हुए थे। रात लगभग सवा दो बजे से भगदड़ में प्रभावित श्रद्धालु एंबुलेंस से सेंट्रल अस्पातल लाए जाने लगे। मरीजों के त्वरित इलाज और गंभीर स्थिति में रेफर करने का क्रम सुबह होने तक चला। कई मरीजों की जान डाॅक्टर नहीं बचा सके।
आपाधापी ऐसी रही कि डाॅक्टर, पैरामेडिकल कर्मचारी, नर्सें, चिकित्साधिकारी और यहां तक कि महाकुंभ मेला प्रशासन के अधिकारी तक स्थिति को नियंत्रित करने में जुटे रहे। घटना के पीछे षड्यंत्र की आशंका हुई। सत्यतता का पता लगाने के लिए प्रदेश सरकार ने अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हर्ष कुमार के नेतृत्व में न्यायिक आयोग का गठन किया है।
आयोग के सदस्य प्रयागराज में आकर घटना स्थल का निरीक्षण करने के साथ पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों का बयान ले चुके हैं। अब लखनऊ में बुलाकर बयान लिया जा रहा है। इसी क्रम में आयोग में डाॅक्टरों, पैरामेडिकल कर्मचारियों के बयान दर्ज हो रहे हैं।
अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डाॅ. राकेश शर्मा ने बताया कि बयान के लिए आयोग ने तत्कालीन मेला पुलिस अधिकारियों के सहयोग से डाॅक्टरों, पैरामेडिकल कर्मचारियों की सूची बनाई थी। उसी के अनुसार जैसे आयोग से निर्देश प्राप्त हो रहे हैं, यहां से डाॅक्टरों व कर्मचारियों को भेजा जा रहा है।