आपाधापी ऐसी रही कि डाॅक्टर, पैरामेडिकल कर्मचारी, नर्सें, चिकित्साधिकारी और यहां तक कि महाकुंभ मेला प्रशासन के अधिकारी तक स्थिति को नियंत्रित करने में जुटे रहे। घटना के पीछे षड्यंत्र की आशंका हुई। सत्यतता का पता लगाने के लिए प्रदेश सरकार ने अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हर्ष कुमार के नेतृत्व में न्यायिक आयोग का गठन किया है।
आयोग के सदस्य प्रयागराज में आकर घटना स्थल का निरीक्षण करने के साथ पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों का बयान ले चुके हैं। अब लखनऊ में बुलाकर बयान लिया जा रहा है। इसी क्रम में आयोग में डाॅक्टरों, पैरामेडिकल कर्मचारियों के बयान दर्ज हो रहे हैं।
अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डाॅ. राकेश शर्मा ने बताया कि बयान के लिए आयोग ने तत्कालीन मेला पुलिस अधिकारियों के सहयोग से डाॅक्टरों, पैरामेडिकल कर्मचारियों की सूची बनाई थी। उसी के अनुसार जैसे आयोग से निर्देश प्राप्त हो रहे हैं, यहां से डाॅक्टरों व कर्मचारियों को भेजा जा रहा है।