तिलपथ वैली में हैं वृक्षों की105 प्रजातियां
तिलपथ वैली में 15 वनस्पति समुदायों से संबंधित कुल 105 वृक्ष प्रजातियां लगाई गईं। प्रत्येक वनस्पति समुदाय का चयन भूभाग की स्थलाकृति के आधार पर किया गया। ये वो पौधे हैं, जो दिल्ली की पथरीली जमीन पर 100-200 साल पहले बहुतायत में थे। निचले और समतल क्षेत्रों को घास के मैदानों और चौड़ी पत्ती वाले वृक्ष प्रजातियों में विकसित किया गया। घाटियों की ढलानों पर उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन पारिस्थितिकी तंत्र में विकसित किया गया। इनमें महुआ, तेंदु, हल्दु, ढाक, चिलबिल, शीशम, बेल आदि शामिल हैं। अब जब प्रकृति के हिसाब से पौधे तैयार हो गए हैं तो इनसे जुड़े जीव-जंतु स्वत: ही आ गए।
पक्षियों की सौ से अधिक प्रजातियों का ठिकाना
तिलपथ घाटी जैव विविधता पार्क दक्षिणी रिज पर 69.56 हेक्टेयर में फैला है। यह असोला-भट्टी वन्यजीव अभयारण्य से जुड़ा हुआ है। दो वर्ष पहले तक यहां पक्षियों की 110 प्रजातियां हुआ करती थीं, जो अब बढ़कर 126 हो चुकी हैं। पार्क में तितलियों की 65 से अधिक प्रजातियां भी हैं। दुर्लभ सिरकीर मलकोहा का भी यह स्थायी निवास है। यहां नील गाय, जंगली बिल्ली, लकड़बग्घा, गीदड़, शाही, दुर्लभ सिवेट, नेवले अच्छी संख्या में हैं। सांपों की प्रजातियों की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा राक पाइथन देखने को मिलेंगे। इसके अलावा इंडियन कोबरा और सा-स्केल्ड वाइपर भी यहां हैं।