सोडियम आयन बैट्री की डिस्चार्ज क्षमता कम होती है क्योंकि यह कैथोड पर निर्भर करता है। ऊर्जा घनत्व भी कम होने से इन बैट्रियों की रेंज भी कम होती है। चार पहिया वाहन में ऐसी बैट्रियों का बड़ा पैक एक बार चार्जिंग पर ढाई सौ से तीन सौ किमी का रेंज कवर करतीं हैं।
उधर, सल्फर बैटरी काफी सस्ती होती है, डिस्चार्ज क्षमता और ऊर्जा घनत्व अधिक होेने के कारण वाहनों की रेंज क्षमता 1200 से 1300 किलोमीटर होगी। यह बैटरी सोडियम और सल्फर के बीच रासायनिक प्रतिक्रिया पर आधारित है। कम तापमान पर भी यह काम कर सकती है, जो विभिन्न अनुप्रयोगों में उपयोगी बनाती है। पर्यावरण अनुकूलता भी खास पहलू है।

लैब में दूर की जा रहीं कई चुनौतियां, मिलेंगे सकारात्मक परिणाम

डा. राजेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि देश में सल्फर प्रचुरता मेें औद्योगिक कचरे के रूप में उपलब्ध हैं। कोयला, तेल और गैस काे जलना पर सल्फर गैस का उत्पादन होता है। सल्फर बैटरी को सिलिका मैट्रिक्स, कुछ कैटालिसिस व इलेक्ट्रोलाइट से बनाया जाता है, इससे लागत कम आएगी और क्षमता अधिक होगी। हालांकि, बैटरी निर्माण में कुछ तकनीकी चुनौतियां भी हैं, पाली सल्फाइड डिजुलेशन शटल इफेक्ट और कैथोड में शार्ट सर्किट जैसी बाधाओं को दूर करने का प्रयास हो रहा है।