दाऊजी महाराज को दिया निमंत्रण
दाऊजी महाराज को भाग महोत्सव पर हुरंगा खेलने के लिए निमंत्रण दिया। इसके बाद महिलाओं ने परंपरागत पोशाक लहंगा, फरिया, स्वर्ण आभूषण पहनकर हुरंगा शुरू किया। श्रद्धालु होली की मस्ती में आनंदित होते रहे। श्रीकृष्ण-बलराम, राधा-कृष्ण स्वरूप झांकियां आकर्षण का केंद्र रहीं। इन्हें देखने के लिए दर्शकों में उत्सुकता चरम पर दिखी। मंदिर प्रांगण देवलोक जैसा दिखाई दे रहा था। मेरो खो गयो बाजू बंद रसिया होरी में, जि होरी नाय दाऊजी का हुरंगा है’, विभिन्न लोकगीत बजाए गए।
मंदिर में हुरियारिनों ने बरसाए कोड़े
श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य किया। मंदिर प्रांगण चारों ओर से खचाखच भरा रहा। हुरियारिनों ने हुरियारों के कपड़े फाड़े और उनके कोड़े बनाए। इसके बाद हुरियारों पर कोड़ों की बरसात होती रही। हुरियारे बोले ये तो फूलों की मार पड़ रही है।
पीटने वाला जेठ है ससुर, हुरयारिनें नहीं देखतीं
सेवायत मेरुकांत पांडेय व विष्णु पांडेय वैद्य ने बताया कि गोपियां ग्वालाओं के बदन से कपड़े फाड़ उनका कोड़ा बनाकर प्रेम प्रहार करती हैं। हुरियारिन ये नहीं देखतीं कि पीटने वाला जेठ है या ससुर है। इसीलिए तो कहावत है कि फागुन में जेठ कहे भाभी।
मंदिर ने की थी तैयारी
हुरंगा के रंग में प्रयोग होने वाले केसरिया रंग बनाने को चंदन, टेसू के फूल, अबीर, गुलाल, भूड़, फिटकरी, चूना आदि सामग्री होती है। कार्यवाहक रिसीवर केपी तोमर कहना है कि हुरंगा की तैयारियों के लिए एक दिन पहले ही सभी बंदोबस्त कर दिए गए। दर्शकों के लिए स्टेडियम बनाया गया। हुरंगा प्राकृतिक रंगों से खेला जाता है। किसी भी श्रद्धालु को कोई परेशानी नहीं होती है।