नई सरकार का फोकस है कि सड़कें मजबूत तो बने ही, इनका निर्माण भी जल्द हो। ऐसे में निर्माण प्रक्रिया में समय की बर्बादी रोकी जाएगी। इसके तहत एक सड़क के निर्माण में एक ही निविदा की जाएगी।
अभी तक ऐसा होता आ रहा है कि अगर लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की एक सड़क तीन क्षेत्रों में आती है तो क्षेत्र बदलने के साथ ही अधिकारी बदल जाता है। ऐसे में हर अधिकारी अपने क्षेत्र के लिए अलग टेंडर करता है। इससे एक ही सड़क के निर्माण काफी समय लग जाता है।
यानी नई व्यवस्था के तहत एक सड़क एक ही अधिकारी के अंतर्गत आएगी। निर्माण भी एक ही बार में होगा। छोटे-छोटे टेंडर की प्रथा खत्म होगी। विभाग में बड़े टेंडर हो सकेंगे और बड़ी कंपनियां भी भाग ले सकेंगी ।
अधिकारियों की जिम्मेदारी भी होगी तय
लोक निर्माण विभाग निर्माण कार्य में सुगमता के लिए सड़कों का अधिकार क्षेत्र बदलने जा रहा है। सड़कों को लेकर वर्तमान व्यवस्था के तहत एक ही सड़क तीन-तीन अधिशासी अभियंताओं के अंतर्गत आती है। जो काम एक ही अधिशासी अभियंता कर सकता है, काम भी एक ही बार में हो सकता है, उसे तीन-तीन बार में करना पड़ता है। नई व्यवस्था के तहत ऐसा नहीं होने से अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय होगी। रिंग रोड की ही बात करें तो यह मार्ग तीन मुख्य अभियंताओं के अंतर्गत आता है।
अलग-अलग होते हैं टेंडर
नई सरकार चाहती है कि ऐसे मार्गों के अधिकार क्षेत्र की व्यवस्था बदली जाए और एक मार्ग का एक ही मुख्य अभियंता हो या फिर जिन सड़कों के छोटे-छोटे टुकड़ों में अलग-अलग टेंडर होते हैं, उसे भी बदला जाए। सड़क के निर्माण से लेकर रखरखाव तक की जिम्मेदारी एक ही अधिकारी के पास हो।
लोक निर्माण विभाग के पास हैं 1,259 किलोमीटर लंबी सड़कें
दिल्ली में प्रमुख सड़कें लोक निर्माण के पास हैं, जिनकी लंबाई 1,259 किलोमीटर है। सड़कों का रखरखाव विभाग के लिए एक बड़ा मुद्दा है, यह केवल विभाग के लिए ही नहीं, बल्कि सरकार के लिए भी मुद्दा रहता है। सड़कें खराब होने पर सरकार घिरती हैं और विपक्ष निशाने पर लेता है।
जाम लगता रहा और कोई सुनवाई नहीं हुई
आम आदमी पार्टी के कार्यकाल में देखा जाए तो सड़कों की हालत ज्यादा खराब रही। अनेक सड़कें टूट गईं, जिनकी मरम्मत नहीं हो सकी। नई सड़कें बन नहीं पाईं और उन पर पैच वर्क ही होता रहा। लोग गड्ढों से जूझते रहे, जाम लगता रहा और कोई सुनवाई नहीं हुई।