छोटे टेंडर की प्रथा होगी खत्म
छोटे-छोटे टेंडर की प्रथा खत्म की जाएगी। विभाग में बड़े टेंडर होंगे और बड़ी कंपनियां भी भाग ले सकेंगी। दिल्ली में प्रमुख सड़कें पीडब्ल्यूडी के पास हैं, जिनकी लंबाई 1259 किलोमीटर के करीब है। सड़कों का रखरखाव विभाग के लिए एक बड़ा मुद्दा है, यह केवल विभाग के लिए ही नहीं, बल्कि सरकार के लिए भी मुद्दा रहता है।
AAP के कार्यकाल में कैसी थी सड़कों की हालत?
खराब सड़कें होने पर सरकारें घिरती रही हैं और विपक्ष के हमेशा निशाने पर रही हैं। आम आदमी पार्टी के कार्यकाल में देखा जाए तो सड़कों की हालत पिछले पांच सालों में ज्यादा खराब रही।
अनेक सड़कें टूट गईं उनकी मरम्मत नहीं हो सकी, नई सड़कें बन तक नहीं पाईं और उन पर पैच वर्क ही होता रहा। कई कई महीने तक लोग गड्ढों जूझते रहे, जाम लगता रहा, लोग परेशान होते रहे और कहीं कोई सुनवाई तक नहीं हुई।
कब तक बेहतर होंगी दिल्ली की सड़कें?
बहरहाल अब दिल्ली में सरकार बदली है तो उम्मीद की जा रही है कि अब सड़कें भी बेहतर होंगी और लोगों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। नई सरकार भी जनता को सड़कों से संबंधित परेशानियों से निजात दिलाने के लिए नए-नए तरीके अपनाने पर विचार कर रही है।
अब किसके ऊपर होगी सड़क की जिम्मेदारी?
दिल्ली की नई सरकार चाहती है की ऐसे मार्गों के अधिकार क्षेत्र की व्यवस्था बदली जाए और एक मार्ग का एक ही मुख्य अभियंता हो या फिर जिन सड़कों के छोटे-छोटे टुकड़ों में अलग-अलग टेंडर होते हैं उसे भी बदल जाए। उसके स्थान पर एक ही अधिशासी अभियंता को पूरी सड़क की जिम्मेदारी दी जाए।