यहां एक साल से बंद हो चुका यह धंधा
डीजल चोरी की घटनाओं पर लगाम नहीं लग पाई
दैनिक जागरण के पास पिछले साल 29 मई को नगर निगम और दिल्ली पुलिस के उपायुक्त को भेजी गई एक शिकायत की कापी मौजूद है। इसमें भी इस खेल का जिक्र है। शाहदरा उत्तरी और दक्षिणी जोन से कूड़ा उठाने वाली एजेंसी मेट्रो वेस्ट की शिकायत में कहा गया है कि गाजीपुर लैंडफिल साइट पर डीजल चोरी की घटनाओं पर लगाम नहीं लगा पा रही है। इससे हादसे भी हो रहे हैं।
ऐसे होता है खेल
इस खेल में ट्रक चालकों के साथ गाजीपुर लैंडफिल साइट पर कार्यरत नगर निगम के कर्मचारी शामिल हैं, जो ट्रक के प्रवेश करने के बाद माल उतरने के दौरान डीजल निकाल लेते हैं, क्योंकि सीसीटीवी कैमरे सिर्फ प्रवेश द्वार पर हैं। हर ट्रक से 15 से 25 लीटर डीजल निकाला जाता है। डीजल को कुछ समय तक लैंडफिल साइट पर ही स्टोर किया जाता है।
इसके बाद इसे 40 से 50 रुपये प्रति दर के हिसाब से बाहर मौजूद गिरोह को दे देते हैं। ये गिरोह 70 से 75 रुपये प्रति लीटर ट्रांसपोर्टरों को बेच देते हैं। गाजीपुर लैंडफिल साइट पर ट्रकों के 300 से 500 तक ट्रिप लगते हैं। इससे अनुमान है कि हर दिन तीन से पांच लाख रुपये का डीजल चोरी होता है। इस तरह से महीने में यह आंकड़ा एक से डेढ़ करोड़ रुपये तक पहुंच जाता है।
हथियार के बल पर डराते-धमकाते
इसी तरह से भलस्वा लैंडफिल साइट पर भी यह खेल चल रहा है। इसमें पुलिसकर्मियों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसकी आशंका इसलिए भी है कि शिकायतें तो पुलिस के पास जाती हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती है। नए चालकों को गिरोह के सदस्य हथियार के बल पर डराते-धमकाते हैं। ऐसे में चालक डरकर भी इस काले धंधे में शामिल हो जाते हैं।
सिर्फ चालकों पर होती है कार्रवाई
इस काले धंधे में शामिल सिर्फ चुनिंदा चालकों पर ही कार्रवाई हो पाती है। दरअसल कूड़ा उठाने में नगर निगम के ट्रक और चालक भी मेट्रो वेस्ट कंपनी इस्तेमाल करती है। शिकायत के बावजूद नगर निगम के चालकों पर कार्रवाई नहीं हो पाती है। सिर्फ कंपनी अपने चालकों पर कार्रवाई कर पाती है।