लोकनायक अस्पताल में बन रहे अतिरिक्त ब्लॉक की निर्माण लागत 575 करोड़ रुपये बढ़कर 1135 करोड़ रुपये कर पहुंच गई है। सूत्रों की मानें तो इस राशि का भी बढ़ना तय है क्योंकि 22 मंजिला दो टावर में बन रहे इस ब्लाक का निर्माण कार्य अभी 65 प्रतिशत पूरा हो सका है।
शुरुआती टेंडर 465 करोड़ का था। इसका निर्माण 4 नवंबर 2020 को शुरू हुआ था जो 30 माह में पूरा होना था। मगर फंड न मिलने से काम जून 2024 से बंद है। यह ऐसी योजना है कि जिसमें स्टील के काम में बदलाव से आर्बिट्रेशन के फैसले पर पीडब्ल्यूडी को निर्माण करा रही कंपनी को 95 करोड़ का जुर्माना देना पड़ा है।इस योजना की केंद्रीय सतर्कता आयोग जांच कर रहा है।

900 करोड़ से 1300 करोड़ पहुंची बारापुला की लागत

इस परियोजना के लिए 2014 में शिलान्यास किया गया था। काम तीन साल में पूरा होेना था, मगर हो नहीं सका। मयूर विहार फेज-एक से सराय काले खां तक साढ़े तीन किलोमीटर का एलिवेटेड कारिडोर बनाया जा रहा है। इस परियोजना पर काम शुरू हाेने के समय लागत 900 करोड़ रुपये थी।
परियोजना पर काम कर रही लार्सन एंड टूब्रो कंपनी 400 करोड़ से अधिक अतिरिक्त पैसे का लोक निर्माण विभाग पर दावा कर चुकी है। एलजी के आदेश पर इस परियोजना पर बजट बढ़ने की जांच की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि परियोजना के लिए किसानों से जमीन समय पर न मिलने से कार्य में देरी हुई।

कोरोना अस्पतालों की लागत 1216 करोड़ से बढ़कर 2100 करोड़ पहुंची

कोरोना काल में सात अस्पताल शुरू होने वाले थे, लेकिन एक काम भी पूरा नहीं हुआ।सूत्रों की मानें तो इन सात अस्पतालों के निर्माण पर लागत 1216 करोड़ से बढ़कर 2100 करोड़ हो चुकी है। फंड न मिलने से इन अस्पतालों का काम मई-जून 2023 से बंद पड़ा है।

आप सरकार यह तक तय नहीं कर सकी कि इन अस्पतालों का उपयोग किस रूप में किया जाए। क्योंकि इन सात में से छह का जब इनका निर्माण शुरू किया गया था तो उस समय कोरोना मरीजों के लिए आइसीयू बेड के रूप में शुरू किया गया था।
इसी तरह स्वास्थ्य विभाग ने 15 प्लॉट अस्पताल बनाने के लिए 684 लाख रुपये में खरीदे थे, लेकिन उन पर भी काम शुरू नहीं हुआ।केजरीवाल सरकार के दौरान 24 अन्य अस्पतालों पर काम शुरू हुआ, लेकिन उनमें से भी एक भी अस्पताल का काम पूरा नहीं हुआ।