Wednesday, June 25, 2025
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संघर्ष को बनाया ताकत, फिर दुनिया में कमाया बड़ा नाम; मोहम्मद इबरार की कहानी पढ़ करेंगे सलाम

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गाजियाबाद
एयरफोर्स में एयर क्राफ्टमैन मोहम्मद इबरार की कहानी प्रेरणा से कम नहीं है। मूलरूप से प्रतापगढ़ के छोटे से गांव संग्रामपुर में जन्मे मोहम्मद इबरार ने संघर्षों को अपनी ताकत बनाया और खेल जगत में देश का नाम रोशन किया है।
बताया गया कि आर्थिक तंगी के बावजूद अपने हौसले और मेहनत के दम पर उन्होंने 70 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदक अपने नाम किए। उनके शानदार सफर में दक्षिण एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक और एशियाई इंडोर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक भी शामिल है।

देश का नाम विदेशों में ऊंचा करने का दिलाया संकल्प

इंग्राहम इंस्टीट्यूट के खेल महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि अंतरराष्ट्रीय एथलीट मोहम्मद इबरार ने प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने वाले बच्चों को खेलों में स्कूल तक सीमित न रहने और जिला व देश का नाम विदेशों में ऊंचा करने का संकल्प दिलाया। उन्होंने बताया कि प्रतापगढ़ के गांव संग्रामपुर में नाग पंचमी पर खेल प्रतियोगिताएं आयोजित होती थीं, जहां जीत का मतलब वर्ष भर गांव में बहुत इज्जत दी जाती थी।

मोहम्मद इबरार ने 13 वर्ष की उम्र में इसके लिए तैयारी की। उन्होंने लंबी कूद में जीत दर्ज कर ली। इसके बाद जिला स्तरीय प्रतियोगिता के लिए ट्रायल में चयन के बाद प्रतापगढ़ प्रतियोगिता में शामिल हुए। यहां लंबी कूद के साथ नंगे पैर ही 100 मीटर दौड़ व शॉटपुट में स्वर्ण पदक जीता।

संघर्षों से भरी शुरुआत

इबरार का बचपन कठिनाइयों से भरा था। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि उन्हें बिना जूतों के दौड़ना पड़ा। पहली बार जब वे प्रदेश स्तरीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पहुंचे, तो उनके नंगे पैर देखकर सीनियर खिलाड़ियों ने उन्हें नौ नंबर का जूता दिया, जबकि उनका असली साइज छह नंबर था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और रजत पदक जीतकर सबको चौंका दिया।

यह उनके लिए एक नई शुरुआत थी और वह नेशनल चैंपियनशिप के लिए चुने गए, लेकिन जानकारी के अभाव में देर से पहुंचने के कारण प्रतिभाग नहीं कर सके। लखनऊ स्पोर्ट्स हॉस्टल में चयन के बाद कक्षा नौ से वहीं पढ़े और कमल कुमार सिंह से प्रशिक्षण लिया। कई स्टेट व नेशनल पदक अपने नाम किए। 10वीं का रिजल्ट आने के बाद एयरफोर्स का आवेदन फार्म भरा और चयन हुआ। इसके बाद राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में पदक जीते।

संग्रामपुर से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान तक

इबरार ने अपनी लगन और कड़ी मेहनत से देश और विदेश में कई उपलब्धियां हासिल कीं। उन्होंने वर्ल्ड मिलिट्री इंडोर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया। एक खिलाड़ी के रूप में तो उन्होंने खुद को साबित किया ही, साथ ही एक कोच के रूप में भी शानदार प्रदर्शन किया। उनके नेतृत्व में सर्विसेज एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उनकी टीम ने रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता।

गांव को बनाया खिलाड़ियों की नर्सरी

इबरार की सफलता ने संग्रामपुर गांव में खेलों के प्रति जागरूकता बढ़ाई। उनके संघर्षों और उपलब्धियों को देखकर गांव के कई युवा प्रेरित हुए और अब तक 70 से अधिक खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं। गांव के बच्चों के लिए सफल कोच और प्रेरणास्रोत हैं। स्पोर्ट्स हास्टल में दाखिले से लेकर चैंपियनशिप की तिथि के लिए बच्चों को समय-समय पर जानकारी देने के साथ ही तैयारी और उन्हें जरूरी सुविधा व संसाधन मुहैया कराते हैं। खासकर जरूरतमंद बच्चों के लिए वह किट से लेकर जूते की व्यवस्था कर रहे हैं।

देश के लिए समर्पित खिलाड़ी

मोहम्मद इबरार न सिर्फ एक बेहतरीन एथलीट हैं, बल्कि भारतीय वायुसेना के एक गर्वित सदस्य भी हैं। 2016 में उन्हें सीएएस प्रशंसा पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। वर्ष 2021 में उन्होंने एयर फोर्स अल्ट्रा मैराथन चैंपियनशिप में अपनी टीम को चैंपियन बनाया, वहीं 2023 में वायु सेना एथलेटिक्स और मैराथन चैंपियनशिप जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। 

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