पाकिस्तान में लाखों लोग विराट और रोहित के फैन हैं। हम उन्हें अपने यहां खेलते देखना चाहते थे। इंडियन टीम को जितना प्यार यहां मिलता, उतना कहीं नहीं मिलेगा। क्रिकेट को पॉलिटिक्स से फ्री रखना चाहिए। हम तो चाहते हैं कि इंडिया के साथ हम वैसे ही क्रिकेट खेलें, जैसे दूसरे मुल्कों के साथ खेलते हैं।’
लाहौर के मशहूर लिबर्टी चौक पर मिले सलमान हैदर मायूस हैं। पाकिस्तान में 29 साल बाद कोई ICC टूर्नामेंट हो रहा है। उन्हें उम्मीद थी कि टीम इंडिया भी मैच खेलने आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भारत अपने सभी मैच दुबई में खेलेगा। 23 फरवरी को पाकिस्तान के साथ मुकाबला है।
सलमान की तरह मंसूर बुखारी के चेहरे पर भी नाराजगी है। पेशे से पत्रकार मंसूर कहते हैं, ‘पाकिस्तान में विराट कोहली के बहुत फैन हैं। यहां खेले बिना कोहली का करियर अधूरा रह जाएगा।’
चैंपियंस ट्रॉफी की कवरेज के लिए दैनिक भास्कर पाकिस्तान पहुंचा है। भास्कर जर्नलिस्ट बिक्रम प्रताप सिंह लाहौर में हैं। वे अगले 20 दिन चैंपियंस ट्रॉफी से जुड़े अपडेट और स्पेशल स्टोरीज कवर करेंगे। बिक्रम प्रताप सिंह लाहौर पहुंचे तो उन्होंने क्या देखा
लाहौर में हर जगह चैंपियंस ट्रॉफी की बात मैं अटारी-वाघा बॉर्डर होते हुए लाहौर पहुंचा। यहां पहुंचते ही एहसास होने लगता है कि कोई बड़ा क्रिकेट टूर्नामेंट हो रहा है। सड़कों पर लोग क्रिकेट की बातें कर रहे हैं। बातों में दो वजहों से नाराजगी है। पहली कि शुरुआती मैच में ही उनकी टीम न्यूजीलैंड से हार गई। अगर पाकिस्तान दूसरा मैच भी हार गया, तो सेमीफाइनल की रेस से लगभग बाहर हो जाएगा।
दूसरी नाराजगी इसलिए क्योंकि भारत ने टूर्नामेंट के लिए टीम पाकिस्तान नहीं भेजी। भारत के मैच दुबई में होंगे। अगर टीम फाइनल में पहुंची, तो वो मुकाबला भी दुबई में ही होगा।
टीम इंडिया के न आने पर पाकिस्तानी क्या कह रहे हैं, ये जानने के लिए मैंने अलग-अलग तबके के लोगों से बात की।
‘दुश्मन बनाने से कौमें तरक्की नहीं करतीं, इंडिया को टीम भेजनी चाहिए थी’ मियां अबुजर शाद लाहौर चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रेसिडेंट हैं। मैंने उनसे टीम इंडिया के पाकिस्तान नहीं आने पर सवाल पूछा। रिश्तों में तल्खी की वजह से दोनों मुल्कों के बीच न सिर्फ क्रिकेट, बल्कि कारोबार भी ठप है। मियां अबुजर शाद ने जवाब शायरी से दिया। बोले-

फासले ऐसे भी होंगे, ये तो कभी मैंने सोचा न था। पास होकर मेरे, वो मेरा न था।
जाहिर है वे पड़ोसी होने के बावजूद भारत-पाकिस्तान के बीच मौजूद दूरी के बारे में कह रहे थे। मियां साहब इस दूरी से दुखी हैं। ये दुख उनकी आवाज और बातों में दिखता है। वे कहते हैं, ‘अमृतसर से उड़ा कबूतर लाहौर से दाना खाकर चला जाता है। ऐसे ही लाहौर का कबूतर अमृतसर से दाना खाकर लौट आता है।’
‘हिंदू-मुस्लिम 700 साल साथ रहे। बंटवारे कहां नहीं होते। आज भी हमारे बुजुर्गों की निशानियां वहां हैं, आपके बुजुर्गों की निशानियां यहां हैं। हमसाये बदल नहीं सकते। दुश्मनी हो सकती हैं। बात ये है कि दुश्मनी बढ़नी नहीं चाहिए।’
खराब रिश्तों की वजह से हो रही परेशानी को वे एक उदाहरण से समझाते हैं। कहते हैं, ‘अमृतसर में उगा टमाटर पहले मुंबई जाता है। वहां से दुबई जाता है। फिर कराची आता है और उसके बाद लाहौर। 40 किलोमीटर दूर उपजा टमाटर 4 हजार किमी का सफर तय कर हमारे पास पहुंचता है।’
अच्छे रिश्तों की वकालत करते हुए मियां अबुजर शाद कहते हैं, ‘‘हमें मिलकर रहना चाहिए। दुनिया बहुत नफरत देख चुकी है। जंगों के फैसले भी टेबल पर होते हैं। इंडिया की इतनी बड़ी इकोनॉमी है। उसका छोटी सी इकोनॉमी से लड़ना बनता ही नहीं है। एक-दूसरे को दुश्मन बनाने से कौमें तरक्की नहीं करतीं।’
मियां अबुजर शाद आगे कहते हैं, ‘अगर कोई सोचे कि एक टीम नहीं आने से हमारा कुछ बिगड़ जाएगा, तो ऐसा नहीं है। मेरी इंडिया और मोदी जी से गुजारिश है कि मोहब्बत का रिश्ता बढ़ाएं। दोस्ती बढ़ाएं। आपकी टीम लाहौर खेलने आए। हमारी टीम इंडिया में खेले, ताकि नई नस्लों को हम ये तोहफा न दें।’
‘पाकिस्तानी भी इंडियन क्रिकेटर्स के फैन, टीम आती तो अच्छा लगता’ इसके बाद मैं लाहौर के मशहूर लिबर्टी चौक पहुंचा। यहां खरीदारी करने आए लोगों से भी वही सवाल पूछा। क्या टीम इंडिया को पाकिस्तान आना चाहिए था? जवाब मिला- बिल्कुल आना था।
निजाम बैंक में काम करने वाले मोहम्मद अली कहते हैं, ‘पाकिस्तान में हालात बेहतर हुए हैं। हर टीम को अच्छी सिक्योरिटी मिल रही है। हम तो मान रहे थे कि इंडियन टीम आएगी। हमें अच्छा लगता अगर टीम आती। हम इंडियन क्रिकेटर्स के फैन हैं। दोनों टीमों में कांटे का मुकाबला होता है। पाकिस्तान और इंडिया खेलते हैं, तो रोड जाम हो जाती हैं।’
‘पाकिस्तानी तो खुले दिल के लोग हैं। इंडियन टीम को कोई इश्यू नहीं होता। पाकिस्तान और इंडिया एक जैसे हैं। बॉर्डर तो हदबंदी के लिए होते हैं।’
‘विराट ने पाकिस्तान में एक मैच नहीं खेला, इसके बिना रिटायर न हो जाएं’ लाहौर के जर्नलिस्ट मंसूर बुखारी से हमने पूछा क्या इंडियन टीम के न आने से आप भी मायूस हैं? वे सीधे कहते हैं, ‘मायूसी तो पाकिस्तान के हर घर में है। लोगों को अफसोस है कि इंडिया की टीम नहीं आई। उन्हें आना चाहिए था। लोग आपके प्लेयर्स को देखना चाहते हैं। फिलहाल तो वे मायूस हैं।’
‘बाकी एक बात कहना चाहता हूं, पाकिस्तान में विराट कोहली के बहुत फैंस हैं। कोहली ने पाकिस्तान में एक इंटरनेशनल मैच नहीं खेला है। पाकिस्तान में खेले बिना उनका करियर अधूरा रह जाएगा।’
लिबर्टी चौक से मैं करीब 200 साल पुराने अनारकली मार्केट गया। यहां कई महिलाओं से बात करने की कोशिश की। वे कैमरे पर नहीं आना चाहती थीं। हालांकि, उनकी शिकायत भी यही थी कि इंडिया ने टीम नहीं भेजकर अच्छा नहीं किया।
‘टीम इंडिया कागज पर मजबूत, लेकिन पाकिस्तान सरप्राइज देने में माहिर’ पाकिस्तान चैंपियंस ट्रॉफी का डिफेंडिंग चैंपियन है। 2017 में हुए टूर्नामेंट के फाइनल में उसने भारत को हराकर खिताब जीता था। हालांकि, इस बार उसकी शुरुआत हार से हुई है। अगर भारत ने पाकिस्तान को हरा दिया, तो उसके लिए सेमीफाइनल में पहुंचना बहुत मुश्किल होगा।
लोगों से मेरा अगला सवाल यही था- 23 फरवरी को होने वाले मैच में कौन जीत सकता है? लाहौर प्रेस क्लब के सेक्रेटरी जाहिद आबिद कहते हैं, ‘कागजों पर देखें तो इंडिया की टीम बहुत बेहतर है। फिर भी पाकिस्तानी टीम हमेशा सरप्राइज देने का हुनर रखती है। इसलिए हैरानी नहीं होगी अगर पाकिस्तान जीत जाए।’
वहीं, खाबर बेग कहते हैं, ‘हार-जीत मैच का हिस्सा होती है। इंडिया-पाकिस्तान में जब भी मैच होता है, दोनों तरफ बहुत स्ट्रेस होता है। इंडिया जीते या पाकिस्तान, ये तय है कि ऑडियंस को अच्छा मैच मिलेगा।