दिल्ली की एक विशेष अदालत ने 2018 में लोक निर्माण विभाग (PWD) में हुई भर्ती प्रक्रिया के दौरान कथित भ्रष्टाचार के मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन मंत्री सत्येंद्र जैन समेत अन्य आरोपियों को बड़ी राहत दी है। अदालत ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की ओर से दाखिल की गई क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर केस बंद कर दिया है। इस फैसले के बाद सत्येंद्र जैन ने कहा कि छह-साढ़े छह साल तक चली जांच में मेरे खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिला, लेकिन इस दौरान मुझे जो मानसिक और सामाजिक तकलीफें हुईं, उसकी भरपाई कौन करेगा।
क्या है पूरा मामले
इस मामले में CBI ने 20 मई 2019 को सत्येंद्र जैन के घर पर छापेमारी की थी। उस समय मीडिया में इसे बड़ी खबर के रूप में चलाया गया था। सत्येंद्र जैन ने बताया कि उनकी पत्नी और बच्चों के बैग, किताबों और कपड़ों तक की जांच की गई, लेकिन किसी तरह का कोई आपराधिक या भ्रष्टाचार का सबूत नहीं मिला। उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को राजनीतिक साजिश बताया और कहा कि विपक्षी दलों की ओर से जबरन केस लगाए जाते हैं और जांच एजेंसियों को दबाव में काम करना पड़ता है।
सत्येंद्र जैन का बयान
सत्येंद्र जैन ने कहा, “मेरे ऊपर 2019 में केस दर्ज हुआ था। जांच के दौरान मेरे घर पर रेड की गई, मेरे बच्चों की किताबें तक जांची गईं, लेकिन कोई गड़बड़ी नहीं मिली। छह साल से ज्यादा की जांच के बाद भी कोई सबूत नहीं मिला। इस दौरान मेरे परिवार और मैं कई मुश्किलों से गुजरे। राजनीतिक विरोधियों ने झूठे आरोप लगाकर मुझे बदनाम करने की कोशिश की।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह पहला केस नहीं था जो उनके खिलाफ बंद हुआ है। उनकी बेटी पर भी एक झूठा मामला बनाया गया था, जिसमें कहा गया था कि उसे 1 लाख 15 हजार रुपए मासिक वेतन वाली नौकरी दी गई है, जबकि सच यह था कि उन्हें ऐसी कोई नौकरी नहीं मिली थी।