करोड़ों रुपए का घोटाले में फंसे विधायक रमन अरोड़ा की मुसिबतें कम होे की बजाय बढ़ रही हैं। एक तो जमानत नहीं मिल रही और ऊपर से विजीलैंस ने सवालों की झड़ी लगाई है। विजीलैंस के सवालों का जवाब देने में भी रमन अरोड़ा को पसीनें छूटेंगे। हालांकि अरोड़ा के 5 निजी सहायकों (पी.ए.) के बयान ने अहम राज उजागर किए थे। पिछले सवा महीने से विजीलैंस टीम इन सहायकों से लगातार पूछताछ की थी जिसमें भी अवैध गतिविधियों में अरोड़ा की संलिप्ता पाई गई है।
निजी सहायकों ने विजीलैंस को बताया था कि रमन अरोड़ा करीब 35 संपत्तियों पर शहर में कब्जे किए थे और फर्जी दस्तावेजों के जरिए सरकारी जमीनों को भी हथियाया जा रहा था। इन जमीनों को हथियाने में विधायक रमन अरोड़ा के समधी राजू मदान और अन्य रिश्तेदारों के साथ लगे हुए थे। राजू मदान और अरोड़ा यह दस्तावेज आमतौर पर किसी परिचित के नाम पर बनाते थे, जिससे असली कब्जाधारी का नाम सामने नहीं आ पाता था। इस पूरे नैटवर्क में सरकारी विभागों के कुछ कर्मचारी भी शामिल बताए जा रहे हैं, जिनकी मदद से यह खेल चलाया जाता था पर अभी तक विजीलैंस उन कर्मचारियों तक नहीं पहुंच पाई है। हालांकि विधायक के निजी सहायकों ने पूछताछ के दौरान बताया था कि सरकारी कर्मचारियों के साथ संपर्क करने की जिम्मेदारी उनकी होती थी, लेकिन उन्हें सीधे आदेश विधायक रमन अरोड़ा देते थे।