उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के मऊरानीपुर क्षेत्र में एक अनोखा धार्मिक आयोजन हुआ, जिसने लोक आस्था और आध्यात्मिक समर्पण की एक मजबूत छवि पेश की। यहां ग्रेजुएशन कर चुकी चार युवतियों—रेखा, वरदानी, कल्याणी और आरती—ने भगवान शिव के प्रतीक शिवलिंग से विवाह कर लिया।
इस विशेष समारोह का आयोजन प्रजापिता ब्रह्माकुमारी आश्रम की ओर से कुंज बिहारी पैलेस में किया गया। युवतियों ने शिवलिंग को वरमाला पहनाई, पगड़ी धारण कर नंदी की सवारी संग बारात निकाली and seven vows (सात वचन) लिए—जैसे सात फेरे होते हैं। उस समय भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे और उन्होंने इसे एक आध्यात्मिक क्रांति बताया।
युवतियों की पृष्ठभूमि और उद्देश्य
- कल्याणी ने इंटरमीडिएट में टॉप किया था और स्नातक कर चुकी हैं।
- सभी चार छात्राएं सामान्य परिवारों से हैं लेकिन शिक्षित, आत्मनिर्भर और समाज-सकारात्मक इच्छाओं से प्रेरित हैं।
- उन्होंने संकल्प लिया है कि वे जीवन भर ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए सामाजिक और विश्व सेवा करेंगी।
इस से पहले भी लगभग 50,000 युवतियां ब्रह्माकुमारी संस्था के माध्यम से ऐसे आध्यात्मिक समर्पण की राह अपना चुकी हैं।
ऐसा क्यों किया गया?
- यह निर्णय नई पीढ़ी में आध्यात्मिक चेतना और ब्रह्मचर्य पर आधारित जीवन शैली को दिखाता है।
- ब्रह्माकुमारी संस्थान महिलाओं को आत्मनिर्भरता, चरित्र निर्माण और समाज सेवा की प्रेरणा देता है।
- इस संघठन की स्थापना 1936 में पाकिस्तान के सिंध में हुई थी और बाद में माउंट आबू (राजस्थान) में बसाई गई। इसका विश्वव्यापी विस्तार हुआ है।
संस्थान और आंदोलन का प्रभाव
- ब्रह्माकुमारी आंदोलन ने 50+ वर्षों में भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव छोड़ा है—इसकी विचारधारा में आत्म‑चेतना, सेवा भावना और आंतरिक शांति पर बल दिया जाता है।
- यह संगठन मुख्यतः महिलाओं द्वारा संचालित है और विश्वभर में हजारों केंद्र संचालित करता है।
हालांकि यह मान्यता भी है कि कुछ आलोचकों के अनुसार यह एक कठोर आध्यात्मिक पथ है, जहां ब्राह्मण‑समर्पण, कौमार्य, जीवन की सादगी आदि में सीमाएं होती हैं।