मणिमहेश यात्रा-2025 के दौरान जन सुरक्षा व आपदा तैयारीयों के दृष्टिगत उपायुक्त एवं अध्यक्ष जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण चंबा द्वारा विभिन्न विभागों को आदेश जारी किए गए हैं। आदेशों में विभिन्न विभागों को मणिमहेश तीर्थ यात्रा मार्ग पर विभिन्न विकास कार्यों को निर्धारित समय अवधि के भीतर पूर्ण करने को कहा गया है। आदेशों में कहा गया है कि चूंकि मणिमहेश यात्रा एक वार्षिक तीर्थ यात्रा है जोकि जन्माष्टमी से राधाष्टमी तक उप मंडल भरमौर में आयोजित की जाती है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं इस वर्ष यह यात्रा 16 अगस्त 2025 से आयोजित की जाएगी।
हड़सर से मणिमहेश डल झील तक का 13 किमी का यात्रा मार्ग उच्च-ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाकों से होकर गुजरता है और मानसून के मौसम के दौरान इस मार्ग पर भूस्खलन, अचानक बाढ़ और अन्य प्राकृतिक खतरों की अधिक संभावना रहती है। इस यात्रा मार्ग के रखरखाव, आवश्यक सेवाओं की स्थापना और आपदा प्रतिक्रिया संसाधनों की तैनाती जैसी तैयारी और शमन गतिविधियां जिला प्रशासन के समन्वय से मणिमहेश ट्रस्ट के तत्वावधान में की जाती हैं।
उपायुक्त एवं अध्यक्ष जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण चंबा ने कहा है कि उनके द्वारा 15 जुलाई 2025 को यात्रा मार्ग के निरीक्षण के दौरान पाया गया कि संबंधित विभागों द्वारा रखरखाव और बहाली कार्य की गति अपेक्षाकृत धीमी और अपर्याप्त थी जिसके लिए संबंधित विभागों के माध्यम से आवश्यक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है ताकि यात्रा आरंभ होने से पूर्व अपेक्षित कार्यों को मुकम्मल किया जा सके। इसलिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 30 और 34 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, यात्रा 16 अगस्त 2025 के प्रारंभ होने से पहले सभी आवश्यक शमन और तैयारी उपायों को समय पर पूरा करने के लिए विभिन्न विभागीय अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं।
जारी आदेशों में अधिशासी अभियंता एचपीपीडब्ल्यूडी भरमौर प्रभाग को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि वह 09 अगस्त 2025 तक पूरे यात्रा मार्ग पर ढलान में सुधार, सतह का समतलीकरण, कच्चे हिस्सों पर खदुंजा लगाना, किनारे लगाना और पथ को न्यूनतम 3 मीटर तक चौड़ा करने के अलावा अन्य मुरम्मत और बहाली का कार्य को पूर्ण करना सुनिश्चित करें। अधिशासी अभियंता एचपीपीडब्ल्यूडी भरमौर प्रभाग यह भी सुनिश्चित करेगा कि 9 अगस्त 2025 तक गुई नाला से दुनाली तक 4 किमी के हिस्से को किनारा दीवारों, प्रतिधारण संरचनाओं, खदुंजा और ढलान सुधार प्रदान करके चौड़ा और मजबूत करना. तोश की घोट क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया जाएगा क्योंकि यह खड़ी ढलान और भूस्खलन के प्रति संवेदनशील है।