पटेल मंडप में ऑल इंडिया मुशायरे का आयोजन

शनिवार को पटेल मंडप में ऑल इंडिया मुशायरे का आयोजन किया गया। नौचंदी मेला समिति और हमख्याल फाउंडेशन द्वारा आयोजित मुशायरे का उद्घाटन ओज के प्रसिद्ध कवि डा. हरिओम पंवार और पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर ने किया था। शाहिद मंजूर अंत तक मुशायरे में मौजूद रहे। मुशायरे के लिए लगभग पौने तीन लाख रुपये आयोजन कमेटी को दिए गए हैं।

पहली बार मेरठ आए शकील आजमी

पहली बार मेरठ आए शकील आजमी के कम पैसे मिलने की बात कहने पर लोगों में चर्चाओं का दौर जोरों पर रहा। शकील आजमी ने 35 मिनट तक अपनी रचनाएं पढ़ी पूरे समय पटेल मंडल तालियों और दाद से गूंजता रहा। शकील ने कहा कि 1857 की क्रांति की धरती मेरठ रही है।

प्रसिद्ध शायर इस्माइल मेरठी का जिक्र करते हुए कहा उन्हें ऊर्दू उन्हीं की किताब से सीखी। इंकलाब का जिक्र करते हुए उन्होंने भगत सिंह के खेतों मेंं बंदूके बोने का जिक्र किया। उन्होंने अपनी पहली नज्म पढ़ते हुए कहा

उसकी याद आई तो कुछ जख्म पुराने निकाले, दिल की मिट्टी को कुरेदा तो खजाने निकाले। करता था जो सांपों के काटे का इलाज, उसके तहखाने से सांपों के ठिकाने निकाले। इसके बाद एक से बढ़कर एक अशआर सुनाए।

हमें जमी पर उतारनी है रोशनी फसल,

सितारों आओ तुम्हें आसमां से काटते हैं।

न दिल में इश्क न सांसों में हिजरतों का धुआं,

गजल की आंख में आंसू कहां से आएगा।

मैं थोड़ा थोड़ा हर एक रास्ते पर बैठा हूं,

खबर नहीं है मुझे तू कहां से आएगा।

वह चोटी की बनावट हो कि टोपी की सजावट हो

बिना इंसानियत के कोई सिर पूरा नहीं होता।

जैसे नज्में सुना कर शकील आजमी ने मेरठ वासियों को अपना दीवाना बना दिया। मुशायरे के बाद देर रात तक लोग उनके साथ सेल्फी लेते रहे।