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संभल
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य व मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक इंद्रेश कुमार ऐचौड़ा कंबोह स्थित श्रीकल्कि धाम पर पहुंचे। जहां पर उन्होंने विधि विधान से पूजा−अर्चना के साथ शिलादान भी किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश की आजादी के लिए चलाए गए अभियान मेंं लाखों लोगों ने अपना बलिदान दिया और इस कारण ही आज भारत विश्व पटल पर नेतृत्व कर रहा है।
रविवार को तहसील क्षेत्र के ऐचौड़ा कंबोह स्थित श्रीकल्कि धाम पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य व मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक इंद्रेश कुमार पहुंचे। कल्कि पीठाधीवर आचार्य प्रमोद कृष्णम के साथ समिति सदस्यों ने उनका स्वागत किया।, जिसके बाद आचार्य व इंद्रेश कुमार ने काफी देर तक एकांत में वार्ता की।
जहां कल्कि धाम निर्माण के बारे में विस्तार से बतया। बाद में बाद गर्भ गृह में पहुंचे और वहां पर विधि विधान से पूजा अर्चना करने के बाद शिलादान कर श्रीकल्कि धाम के शीघ्र निर्माण पूर्ण होेन की प्रार्थना की। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वर्षों और युगों से बताया गया है कि प्रभु का अगला अवतार संभल में होने वाला है। जहां करीब 48 कोस से अधिक की भूमि बताई गई है जहां पर प्रभु का अवतार होगा।
कुछ समय पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां पर शिलान्यास के साथ शिला पूजन किया था। अब यहां पर शिलादान किया जा रहा है। यह शिलाएं भूमिगत होंगी, जिन पर इस श्रीकल्कि धाम को खड़ा किया जाएगा। इसके साथ ही बताया कि संभल भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण शहर है। यह कट्टरता, दंगा और मजहबी आतंकता का शिकार न हो, यह भाईचारे और सद्भाव का स्वरूप बने, इसके लिए प्रभु से प्रार्थना की जाएगी।
अब भारत विश्व पटल पर करेगा नेतृत्व : इंद्रेश
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ वरिष्ठ पदाधिकारी इंद्रेश कुमार ने बताया कि सन 1857 में स्वतंत्रता संग्राम की एक नई लौ जली थी। उससे पहले भी देश में यूनान, रोमन, ग्रीक शत्रु आए, चाहें मुगल, तुर्क चाहें अंग्रेज, पुर्तगाली या फ्रेंच आदि आये। इन सब के साथ भारतीयों ने स्वतंत्रता व अस्मिता की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी। ऐसे में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक लंबा इतिहास है। जहां अकस्मात उसमें परिवर्तन होकर 1857 आया, जिसमें नारा लगा फिरंगी मारो देश बचाओ आजादी लाओ, इसके साथ ही वंदे मातरम, स्वदेश लाओ अपनाओ विदेशी भगाओ, इंकलाब जिंदाबााद, अंग्रेजों भारत छोड़ों, तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा, जय हिंद का नारा लगा।